Ramotsav 2024: ‘हमारे पूर्वजों के खून में रामभक्ति है’ रामज्योति यात्रा का जौनपुर में मुस्लिमों ने किया भव्य स्वागत 

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वाराणसी। अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर का निर्माण पूरी दुनिया के लिए आस्था का विषय बन गया है। बाहर के देशों से लोग पूछ रहे है कि अयोध्या में क्या हो रहा है? 22 जनवरी को लेकर भारतीयों में उत्साह है।

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इसी बीच मुस्लिमों महिलाओं का एक दल रामज्योति लाने के लिए शनिवार को अयोध्या के लिए रवाना हुआ था। मुस्लिम महिला फाउंडेशन की अध्यास्ख नाज़नीन अंसारी एवं डॉ० नजमा परवीन जब साकेत भूषण श्रीराम मंदिर के महंत शम्भू देवाचार्य से रामज्योति लेकर अयोध्या से वाराणसी के लिये चलीं, तो जौनपुर में विभिन्न स्थानों पर भव्य स्वागत किया गया। रामज्योति का दर्शन करने के लिए भारी भीड़ एकत्र हो गई।

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जौनपुर की सीमा में रामज्योति यात्रा के प्रवेश करने पर विशाल भारत संस्थान के जिला चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे एवं हिन्दू मुस्लिम संवाद केंद्र के जिला कोऑर्डिनेटर अल्लाउद्दीन भुल्लन ने अगवानी कर वाराणसी की सीमा तक पहुंचाया। वाराणसी की सीमा पर विशाल भारत संस्थान के सैकड़ों कार्यकर्त्ताओं ने मोटर साईकिल दस्ते के साथ अगवानी की और रामज्योति यात्रा को सुभाष भवन तक पहुंचाया। इस दौरान जय सियाराम के नारे से लमही गूंज उठा।

सुभाष भवन में अफसर बाबा, तबरेज भारतवंशी के नेतृत्व में मुसलमानों ने आरती और तिलक कर स्वागत किया। रामज्योति को सुभाष भवन में रखा जाएगा जहां लोग इसका दर्शन करेंगे और 21 जनवरी को रामज्योति ले जाकर अपने घरों को प्रकाशित कर सकेंगे। नाज़नीन अंसारी ने सुभाष भवन में रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी एवं मुस्लिम धर्मगुरु अफसर बाबा को रामज्योति सौंपी, जिसे दर्शन के लिए सुभाष भवन में रखा गया।


रामपंथ एवं विशाल भारत संस्थान द्वारा लमही के सुभाष भवन में मुस्लिम समुदाय के लिए "पूर्वजों से जुड़ो, राम से जुड़ो" कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के मुस्लिम धर्मगुरुओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया। राम के लिए मुसलमानों का सुभाष भवन में जमघट भारत की खूबसूरत तस्वीर पेश कर रहा था। रामज्योति के बहाने मुसलमानों ने दुनिया को यह संदेश दिया कि हम अपने पूर्वजों से अलग नही हो सकते।

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इस अवसर पर विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ० राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि केवल भारत रामयुग में प्रवेश नहीं कर रहा है, बल्कि दुनिया को रामयुग में ले जाने का प्रयास कर रहा है। रामपंथ का सूत्र वाक्य सबके राम, सबमें राम ने दुनिया को जोड़ने का सूत्र दिया है। सभी भारतीयों के पूर्वज प्रभु राम है, इसलिए सबका कर्तव्य है कि भगवान राम के आगमन की खुशियों को सांझा करें। राम का रास्ता भारत को विश्व गुरु और दुनिया को शांति की ओर ले जाने वाला है। भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं भगवान राम। त्याग और समर्पण से ही परिवार और देश बनता है। सम्बन्धों को निभाना भी भगवान ने ही सिखाया है।

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अयोध्या से रामज्योति लेकर वापस लौटीं मुस्लिम महिला फाउंडेशन की राष्ट्रीय अध्यक्ष नाज़नीन अंसारी ने कहा कि भगवान श्रीराम का मंदिर संघर्षों और हिंसा से बचाने के लिए प्रेरक के रूप में काम करेगा। मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्ष अयोध्या आकर प्रभु श्रीराम का दर्शन कर और श्रीराम के दर्शन को अपने देश में लोगों को बताएं। सत्ता और धर्म के नाम पर नफरत फैलाने वालों के लिए रामभक्ति आवश्यक है। अपने देश को बचाना है तो अयोध्या आएं और अपने देश में भगवान श्रीराम का मंदिर बनवाएं।

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जौनपुर के जिला चेयरमैन नौशाद अहमद दूबे ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने रामभक्ति की थी, तभी हमारे जीन्स में रामभक्ति है और हम राम मंदिर बनने की खुशी मना रहे है। 22 जनवरी को हम अपने घरों पर रामज्योति जलाएंगे।


हिन्दू मुस्लिम संवाद केंद्र की नेशनल कोऑर्डिनेटर आभा भारतवंशी ने कहा कि राम के आने की खुशी में सभी शामिल हैं, मुसलमानों को भी इस खुशी में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए। हिन्दू मुस्लिम संवाद केंद्र के जिला कोऑर्डिनेटर अल्लाउद्दीन भुल्लन ने कहा कि हम राम से जुड़े हैं, हमारे पूर्वजों के खून में रामभक्ति है। पूर्वजों से जुड़कर ही भारत की संस्कृति को समझा जा सकता है।
 

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