काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मालवीय भवन में आज राधा-कृष्ण प्रतिमा को किया गया पुर्नस्थापित

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित मालवीय भवन में आज राधा-कृष्ण प्रतिमा को पुनर्स्थापित किया गया। जिसके बाद कुलपति प्रो. एसके जैन द्वारा पूजा पाठ किया गया। बता दें कि जब से काशी हिंदू विश्वविद्यालय का निर्माण हुआ, तब से इसके  संस्थापक महामना मालवीय रोजाना राधा-कृष्ण के इस देव विग्रह की पूजा किया करते थे।

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काशी में दशकों बाद महामना के ठाकुर की वापसी हुई है। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जिस राधा-कृष्ण प्रतिमा की नित्य पूजा किया करते थे, वो प्रतिमा आज काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में फिर से स्थापित कर दी गई है।

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देवोत्थान के मौके हुई स्थापित- 1946 में महामना के निधन के कुछ साल बाद ये प्रतिमा प्रयागराज स्थित उनके निवास स्थान पर पहुंचा दी गई थी। आज फिर से देवोत्थान एकादशी के मौके पर सुबह 11 बजकर 30 मिनट के शुभ मुहुर्त पर इस प्रतिमा को मालवीय भवन में वापस लाया गया और विधिवत पूजा- पाठ की गई।

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मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि केस और ट्रस्ट बनवाया- पंडित मदन मोहन मालवीय भगवान कृष्ण के अनन्य उपासक थे। मथुरा जन्मभूमि विवाद के केस को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उन्होंने खुद ही ले ली थी। 1940 में जब वहां पंडि‍त मदन मोहन मालवीय गए, तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा देखकर वे काफी निराश हुए। मालवीय ने जुगल किशोर बिड़ला को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के पुनर्रुद्धार को लेकर एक पत्र लिखा। इसके 3 साल बाद 1943 में उद्योगपति जुगलकिशोर बिड़ला मथुरा आए और वे भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि की दुर्दशा देखकर बड़े दुखी हुए।

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बिड़ला ने मालवीय जी को जवाब में इस स्थान को लेकर हुए दर्द को लिख भेजा। मालवीय की इच्छा का सम्मान करते हुए बिड़ला ने 7 फरवरी 1944 को कटरा केशव देव को राजा पटनीमल के तत्कालीन उत्तराधिकारियों से खरीद लिया। हालांकि, 1946 में मालवीय का निधन हो गया। उनकी अंति‍म इच्छा के अनुसार, बिड़ला ने 21 फरवरी 1951 को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना कर दी।

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