पूर्वांचल को मिली नैनो उर्वरक उत्पादन की सौगात, बीएचयू के वैज्ञानिकों की पहल से 60 दिन में शुरू होगा उत्पादन

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वाराणसी। पूर्वांचल के किसानों को अब जल्द ही स्थानीय स्तर पर निर्मित नैनो टेक्नोलॉजी आधारित उर्वरकों का लाभ मिलने जा रहा है। बीएचयू की वैज्ञानिक प्रतिभाओं द्वारा "खुशी संसार एग्रो केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर" नाम से वाराणसी में प्रदेश की पहली निजी शोध एवं विकास यूनिट की स्थापना की गई है। रविवार को इसका विधिवत उद्घाटन हुआ।

इस यूनिट के माध्यम से अगले 60 दिनों में नैनो यूरिया, नैनो जिंक, नैनो सल्फर, नैनो कॉपर जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर उर्वरकों का स्थानीय उत्पादन शुरू हो जाएगा। इससे किसानों को गुणवत्तापूर्ण, किफायती और प्रभावशाली उर्वरक सुलभ हो सकेंगे, जो मिट्टी की सेहत को भी नुकसान नहीं पहुंचाएंगे।

उद्घाटन समारोह में प्रमुख रूप से उपस्थित ICAR-IIVR के निदेशक डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि नैनो उर्वरक कृषि क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव का संकेत हैं, जो कम मात्रा में अधिक प्रभाव देने की क्षमता रखते हैं। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बनी रहती है और उत्पादन में वृद्धि होती है। खुशी संसार एग्रोफर्टिलाइजर के निदेशक एवं नैनो तकनीक विशेषज्ञ डॉ. फणीन्द्र पति पांडेय ने जानकारी दी कि इस यूनिट में किसानों की जरूरतों के अनुरूप उर्वरकों का उत्पादन किया जाएगा, जो पूरी तरह से वैज्ञानिक गुणवत्ता पर आधारित होगा।

विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तर प्रदेश सरकार में राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने कहा कि बीएचयू के युवाओं की यह पहल पूर्वांचल के लिए गर्व की बात है। उन्होंने इसे आत्मनिर्भर भारत और हरित क्रांति की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया। इस मौके पर बीएचयू के प्रो. ज्ञानप्रकाश मिश्र, डॉ. नीरज सिंह, डॉ. एसके सिंह, डॉ. प्रवीण पति पांडेय, कृति रंजन, प्रमोद कुमार पांडेय सहित कई उद्यमी, वैज्ञानिक और शोधकर्ता उपस्थित रहे।

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