पं. संजू सहाय का 'पं. राम सहाय तबला गुरुकुल' की स्थापना का संकल्प, बनारस घराने की परंपरा को मिलेगा नया आयाम

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वाराणसी। बनारस घराने के पंडित संजू सहाय महान तबला परंपरा के वर्तमान ध्वजवाहक और खलीफा हैं, पंडित राम सहाय जी के वंशज होने के नाते इस प्रतिष्ठित संगीत परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर आगे आए हैं।

पंडित संजू सहाय ने अपनी कला के माध्यम से विश्वभर में बनारस घराने की तबला परंपरा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने "पं. राम सहाय तबला गुरुकुल" के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।

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लगभग ढाई सौ साल से चली आ रही बनारस घराने की तबला परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से पंडित जी ने बनारस के कबीरचौरा स्थित "पं. राम सहाय भवन" में गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए "पं. राम सहाय तबला गुरुकुल" की स्थापना का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि कबीरचौरा, बनारस संगीत की त्रिविधाओं का मुख्य स्रोत है और वर्तमान समय की चुनौतियों के बीच यह आवश्यक हो गया है कि प्राचीन गुरुकुल प्रणाली को संगठित रूप से पुनः स्थापित किया जाए। पंडित संजू सहाय ने कहा कि काशी की मिट्टी में संगीत की एक अनूठी आत्मा बसती है, जो यहां की प्रतिभाओं को अद्वितीय बनाती है।

इस गुरुकुल में शिष्यों के सर्वांगीण विकास के लिए मासिक संगीत गोष्ठियों, कला दीक्षा सत्रों, कार्यशालाओं और उच्च स्तरीय संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इन प्रतियोगिताओं में सफल प्रतिभागियों को "पं. राम सहाय तबला छात्रवृत्ति" भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुतियां गुरुकुल के वार्षिक समारोहों का हिस्सा होंगी।

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पंडित संजू सहाय ने आगे बताया कि गुरुकुल में गुरु-शिष्य संबंधों की जो गहराई पहले हुआ करती थी, वह इस पहल के माध्यम से और अधिक प्रगाढ़ होगी। यहां आने वाले शिष्य 'पं. राम सहाय भवन' में स्थापित तबला महर्षियों की प्रतिमाओं के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, जिससे उनके भीतर वही समर्पण, प्रेम, और आदर का संचार होगा जो बनारस घराने की विशेषता है।

पंडित सहाय ने बताया कि वह इस गुरुकुल को अपना अधिकतम समय देंगे और गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत तबला की दीक्षा देंगे। इसके साथ ही गुरुकुल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साधना कक्षों का निर्माण किया जाएगा, जहां संगीत साधक अपनी सुविधा अनुसार साधना कर सकेंगे। यह गुरुकुल अत्याधुनिक उपकरणों और संसाधनों से सुसज्जित होगा ताकि संगीत साधकों को अन्यत्र भटकने की आवश्यकता न पड़े। इसके साथ ही, गुरुकुल के विकास के लिए सरकारी सहायता प्राप्त करने का भी प्रयास किया जाएगा, जिससे संगीत साधकों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।

हिन्दुस्तानी संगीत के प्रेमी और साधक दुनिया भर में फैले हुए हैं। इस गुरुकुल में एक ऐसा आवासीय प्रबंध किया जाएगा, जिससे वे यहां रहकर अपनी साधना कर सकें और काशी की सांस्कृतिक धारा से जुड़ सकें।बनारस घराने के पं. संजू सहाय का 'पं. राम सहाय तबला गुरुकुल' की स्थापना का संकल्प: बनारस घराने की परंपरा को मिलेगा नया आयाम

वाराणसी। पंडित संजू सहाय जी, जो बनारस घराने की महान तबला परंपरा के वर्तमान ध्वजवाहक और खलीफा हैं, पंडित राम सहाय जी के वंशज होने के नाते इस प्रतिष्ठित संगीत परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प लेकर आगे आए हैं।

पंडित संजू सहाय ने अपनी कला के माध्यम से विश्वभर में बनारस घराने की तबला परंपरा को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। आज आयोजित पत्रकार वार्ता में उन्होंने "पं. राम सहाय तबला गुरुकुल" के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारियां साझा कीं।

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लगभग ढाई सौ साल से चली आ रही बनारस घराने की तबला परंपरा को जीवित रखने के उद्देश्य से पंडित जी ने बनारस के कबीरचौरा स्थित "पं. राम सहाय भवन" में गुरु-शिष्य परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए "पं. राम सहाय तबला गुरुकुल" की स्थापना का निर्णय लिया है। उनका मानना है कि कबीरचौरा, बनारस संगीत की त्रिविधाओं का मुख्य स्रोत है, और वर्तमान समय की चुनौतियों के बीच यह आवश्यक हो गया है कि प्राचीन गुरुकुल प्रणाली को संगठित रूप से पुनः स्थापित किया जाए। पंडित जी ने कहा कि काशी की मिट्टी में संगीत की एक अनूठी आत्मा बसती है, जो यहां की प्रतिभाओं को अद्वितीय बनाती है।

इस गुरुकुल में शिष्यों के सर्वांगीण विकास के लिए मासिक संगीत गोष्ठियों, कला दीक्षा सत्रों, कार्यशालाओं और उच्च स्तरीय संगीत प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। इन प्रतियोगिताओं में सफल प्रतिभागियों को "पं. राम सहाय तबला छात्रवृत्ति" भी प्रदान की जाएगी। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की प्रस्तुतियां गुरुकुल के वार्षिक समारोहों का हिस्सा होंगी।

पंडित संजू सहाय ने यह भी बताया कि गुरुकुल में गुरु-शिष्य संबंधों की जो गहराई पहले हुआ करती थी, वह इस पहल के माध्यम से और अधिक प्रगाढ़ होगी। यहां आने वाले शिष्य 'पं. राम सहाय भवन' में स्थापित तबला महर्षियों की प्रतिमाओं के दर्शन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करेंगे, जिससे उनके भीतर वही समर्पण, प्रेम, और आदर का संचार होगा जो बनारस घराने की विशेषता है।

पंडित जी ने यह स्पष्ट किया कि वे इस गुरुकुल को अपना अधिकतम समय देंगे और गुरु-शिष्य परंपरा के अंतर्गत तबला की दीक्षा देंगे। उन्होंने यह भी बताया कि गुरुकुल में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के साधना कक्षों का निर्माण किया जाएगा, जहां संगीत साधक अपनी सुविधा अनुसार साधना कर सकेंगे। यह गुरुकुल अत्याधुनिक उपकरणों और संसाधनों से सुसज्जित होगा ताकि संगीत साधकों को अन्यत्र भटकने की आवश्यकता न पड़े। इसके साथ ही, गुरुकुल के विकास के लिए सरकारी सहायता प्राप्त करने का भी प्रयास किया जाएगा, जिससे संगीत साधकों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।

हिन्दुस्तानी संगीत के प्रेमी और साधक दुनिया भर में फैले हुए हैं। इस गुरुकुल में एक ऐसा आवासीय प्रबंध किया जाएगा, जिससे वे यहां रहकर अपनी साधना कर सकें और काशी की सांस्कृतिक धारा से जुड़ सकें।

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