उन्नाव रेप कांड में सजा स्थगन के विरोध में वाराणसी में प्रतिरोध मार्च, दखल संगठन के आह्वान पर महिलाओं ने जताया आक्रोश

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वाराणसी। उन्नाव रेप कांड में आजीवन कारावास की सजा काट रहे भाजपा नेता कुलदीप सिंह सेंगर की सजा स्थगित किए जाने के आदेश के विरोध में शुक्रवार को वाराणसी में कड़ा प्रतिरोध दर्ज किया गया। दखल संगठन के आह्वान पर महिलाओं ने अम्बेडकर पार्क से जिला मुख्यालय तक काली पट्टी बांधकर और काली मुट्ठी उठाकर प्रतिरोध मार्च निकाला। मार्च के दौरान लैंगिक हिंसा, उत्पीड़न और बलात्कार के खिलाफ जोरदार नारे लगाए गए।

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अम्बेडकर पार्क में उमड़ा महिलाओं का आक्रोश
प्रतिरोध मार्च से पूर्व अम्बेडकर पार्क में जुटी सैकड़ों महिलाओं ने न्यायालयों द्वारा बलात्कार के मामलों में दिखाई जा रही कथित लापरवाही और सत्ता-संरक्षण पर सवाल उठाए। दखल संगठन की सदस्य एकता ने कहा कि उन्नाव रेप कांड उत्तर प्रदेश के सबसे जघन्य और चर्चित मामलों में से एक है, जिसने सत्ता, पुलिस और न्याय व्यवस्था की भूमिका पर गंभीर प्रश्न खड़े किए हैं।

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2017 से शुरू हुआ था संघर्ष
वक्ताओं ने बताया कि वर्ष 2017 में उन्नाव जिले की एक नाबालिग लड़की के साथ तत्कालीन भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा बलात्कार किया गया था। इसके बाद पीड़िता और उसके परिवार को लगातार धमकियों, झूठे मुकदमों और हिंसा का सामना करना पड़ा। पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जबकि 2019 में एक संदिग्ध सड़क हादसे में उसकी दो चाचियों की जान चली गई। भारी जनदबाव और सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया और सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित की गई।

सजा स्थगन पर जताई चिंता
प्रतिरोध मार्च में शामिल नारीवादी कार्यकर्ता स्मिता ने कहा कि वर्ष 2020 में दिल्ली की अदालत ने कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन हाल ही में उच्च न्यायालय द्वारा सजा स्थगन का आदेश दिया गया है, जो बेहद चिंताजनक है और पीड़िताओं के न्याय पर प्रतिकूल असर डालता है।

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राजनीतिक संरक्षण पर सवाल
दखल संगठन की युवा कार्यकर्ता जागृति राही ने कहा कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सीबीआई ने सजा स्थगन आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील करने का निर्णय लिया है, जिसका संगठन स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि सत्ता, प्रशासन और राजनीतिक गठजोड़ के बीच पीड़िता और महिला अस्मिता पिसती नजर आ रही है।

अन्य मामलों का भी हुआ उल्लेख
कार्यक्रम में एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की 2024 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए वक्ताओं ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों में आरोपित सांसदों और विधायकों की सर्वाधिक संख्या भाजपा में है। वक्ताओं ने प्रज्वल रेवन्ना, बृजभूषण शरण सिंह, आशाराम और राम रहीम जैसे मामलों का उल्लेख करते हुए कहा कि जब आरोपी सत्ता से जुड़ा होता है, तो पीड़िता को न्याय के लिए लंबी और पीड़ादायक लड़ाई लड़नी पड़ती है। इसके साथ ही बनारस स्थित आईआईटी बीएचयू की छात्रा के साथ हुए गैंगरेप का जिक्र करते हुए राजनीतिक संरक्षण को सिस्टम की गंभीर विफलता बताया गया।

न्याय मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा
दखल संगठन ने अपनी मांगों को दोहराते हुए कहा कि दोषी कुलदीप सिंह सेंगर को किसी भी प्रकार की राहत या विशेष सुविधा न दी जाए तथा पीड़िता और उसके परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। कार्यक्रम के अंत में कहा गया कि जब तक महिलाओं को बिना डर के न्याय नहीं मिलेगा, तब तक ऐसे मामलों के खिलाफ आवाज उठती रहेगी। उन्नाव रेप कांड यह याद दिलाता है कि चुप्पी अपराधियों को और मजबूत करती है।

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