बिजलीकर्मियों का निजीकरण और उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन, एमडी कार्यालय पर करेंगे प्रदर्शन
वाराणसी। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन के 191वें दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के नेतृत्व में कर्मियों ने भिखारीपुर स्थित प्रबंध निदेशक कार्यालय पर बिजलीकर्मियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। वहीं सोमवार को एमडी कार्यालय पर प्रदर्शन की घोषणा की।
बिजलीकर्मियों ने निजीकरण के साथ-साथ अभियंताओं के स्थानांतरण को भी "उत्पीड़नात्मक" करार दिया। संघर्ष समिति ने ऐलान किया कि यदि 72 घंटे के भीतर इन स्थानांतरण आदेशों को निरस्त नहीं किया गया, तो आगामी सोमवार को पूर्वांचल के हजारों बिजलीकर्मी प्रबंध निदेशक कार्यालय पर विशाल विरोध प्रदर्शन करेंगे।

छह महीने से जारी इस आंदोलन को अब और व्यापक बनाने की तैयारी की जा रही है। समिति ने किसानों और आम उपभोक्ताओं को साथ जोड़कर आंदोलन को जनांदोलन में बदलने का निर्णय लिया है। इसी क्रम में 22 जून को लखनऊ में एक विशाल महापंचायत का आयोजन किया जाएगा, जिसमें किसानों, घरेलू उपभोक्ताओं और बिजलीकर्मियों के प्रमुख संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
महापंचायत में निजीकरण के विरोध में एक साझा रणनीति बनाई जाएगी और पावर कॉर्पोरेशन द्वारा दिए जा रहे आंकड़ों की सच्चाई सामने लाने के लिए एक श्वेत पत्र जारी किया जाएगा। संघर्ष समिति का दावा है कि ओडिशा, चंडीगढ़, दिल्ली, ग्रेटर नोएडा और आगरा जैसे क्षेत्रों में निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और बिजली कर्मचारियों की स्थिति भी बदतर हो गई है।

महापंचायत में एक प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य सरकार को निजीकरण के दुष्परिणामों से अवगत कराया जाएगा। साथ ही निर्णय लिया जाएगा कि ऐसी महापंचायतें वाराणसी, आगरा, मेरठ जैसे अन्य प्रमुख शहरों में भी आयोजित की जाएं। संघर्ष समिति के नेताओं ने बताया कि किसानों और उपभोक्ताओं के लगभग सभी बड़े संगठनों से वार्ता हो चुकी है और महापंचायत में निजीकरण के खिलाफ एक संयुक्त मोर्चा बनाया जाएगा।
इस दौरान ई. विजय सिंह, ई. दीपक गुप्ता, रामजी भारद्वाज, रविन्द्र यादव, संतोष वर्मा, राजेश सिंह, ई. नीरज बिंद, संदीप कुमार, ई. सियाराम, रमाशंकर पाल, जयप्रकाश और अजीत कुमार आदि रहे।

