कुसुम बीज युक्त पोल्ट्री फीड से बढ़ेगी चिकन मीट की गुणवत्ता, बीएचयू- डेयरी साइंस एंड फ़ूड टेक्नोलॉजी विभाग के पूर्व छात्र का शोध
वाराणसी। कुसुम बीज के पोल्ट्री फीड से चिकन मीट की गुणवत्ता बढ़ जाएगी। बीएचयू के डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नालाजी के शोध छात्र रहे डा. अमन राठौर की रिसर्च में यह तथ्य सामने आया है। डॉ. अमन राठौर ने वरिष्ठ प्रो. दिनेश चंद्र राय की देख रेख में कुसुम के बीज को 10 प्रतिशत तक पोल्ट्री फीड में समावेश किया। यह शोध ब्रायलर चिक्स कब्ब-400 स्ट्रेन पर विभाग के पोल्ट्री फार्म में 1 से 42 दिन तक शोध किया गया। जिसमे 200 चिक्स को विभन्न स्तर पर 5 भागो में बाटा गया।
डा. अमन राठौर के मुताबिक कुसुम के बीजों में लगभग 35-50% तेल, 15-20% प्रोटीन और 35-45 प्रतिशत छिलका अंश होता है। तेल में उच्च स्तर के पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड होते हैं, जिनमें 71 से 75 प्रतिशत लिनोलिक एसिड, 16 से 20 प्रतिशत ओलिक एसिड, 6 से 8% पामिटिक एसिड और 2 से प्रतिशत स्टीयरिक एसिड शामिल हैं। पॉलीअनसैचुरेटेड फैटी एसिड रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करता है जो कोरोनरी हृदय रोग के लिए योगदान कारकों में से एक है। विशेष रूप से, संयुग्मित लिनोलिक एसिड का हृदय रोगों, मधुमेह, कैंसर, मोटापा और कई अन्य पर निरोधात्मक प्रभाव पड़ता है। कुसुम तेल का इस्तेमाल खाना पकाने से लेकर स्वास्थ्य की समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। इस तेल में कई औषधीय गुण छिपे होते हैं। आयुर्वेद में कुसुम तेल का इस्तेमाल काफी लंबे समय से किया जा रहा है। वजन घटाने से लेकर स्किन की समस्याओं को दूर करने में कुसुम का तेल लाभकारी होता है। कुसुम तेल के इस्तेमाल से मस्तिष्क और ब्लड सेल्स की परेशानी को कंट्रोल कर सकते हैं। कुसुम तेल कुसुम पौधे के बीजों से प्राप्त किया जाता है। कई लोग इसे नकली केसर के नाम से भी जानते हैं।
यह शोध कार्य एडिनबर्ग विश्वविद्यालय यूके के जर्नल ट्रॉपिकल एनिमल हेल्थ एंड प्रोडक्शन, स्प्रिंगर (इम्पैक्ट फैक्टर 1.7) तथा इंडियन जर्नल ऑफ़ एनिमल रिसर्च (इम्पैक्ट फैक्टर 0.5) और एनिमल नुट्रिशन एंड फीड टेक्नोलॉजी (इम्पैक्ट फैक्टर 0.29) में प्रकाशित हुआ है।
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