घर में मिले महिला के कंकाल का नहीं हुआ पोस्टमार्टम, नाना ने बताई बड़ी बात
सामनेघाट क्षेत्र के मदरवां निवासी उषा त्रिपाठी का उनके ही घर में कंकाल मिला था। साथ ही दिवंगत उषा त्रिपाठी की बेटियों के मां के शव के साथ एक साल बिताने की बात सामने आई थी। इस घटना के पीछे लड़कियों के पास अंतिम संस्कार के लिए पैसे न होने और उनका मानसिक संतुलन बिगड़ने की भी जानकारी पुलिस को हुई थी।
गुरुवार को बेटी के घर पहुंचे रामकृष्ण ने कहा कि अब वे अपनी दोनों नातिनों की देखभाल करेंगे। कहा कि मां के निधन से पल्लवी और वैष्णवी (नातिन) को सदमा लग गया। इसी कारण दोनों घटना को छिपा रहीं, जिसके बारे में अब जानकारी हो पाई है। कहा कि 22 साल से सबको संभाल रहा हूं। अब तो मेरी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। दोनों बहनों को समझाया हूं, भविष्य में दोनों कुछ बेहतर करेंगी।
हिंदू रीतिरिवाज़ से होगा श्राद्ध कार्यक्रम
ऊषा त्रिपाठी के कंकाल की अंत्येष्टि के बाद हिंदू रीति-रिवाज मुताबिक श्राद्ध कार्यक्रम भी होगा। पिता रामकृष्ण ने बताया कि बेटी को खोने का मुझे बहुत गम है। डेढ़ साल पूर्व ऊषा की तबीयत ज्यादा खराब थी, लेकिन दवा होने पर वह ठीक होने लगी थी। मुझे उम्मीद हुई कि अब ठीक हो रही है, इसलिए छोटी बेटी के यहां लखनऊ चला गया। मैं अपनी बेटी का अंतिम संस्कार करूंगा।
तीन दिसंबर को होगा शव का पोस्टमार्टम
गौरतलब है कि उषा त्रिपाठी के कंकाल का गुरुवार को फॉरेंसिक टीम के उपस्थित न रहने से पोस्टमार्टम नहीं हो सका। अब उसका पोस्टमार्टम तीन दिसंबर को होगा। हालांकि लंका थाने की पुलिस अपनी ओर से सारी तैयारी कर चुकी थी। मोर्चरी हाउस के लोगों ने विवशता बताते हुए तीन दिसंबर का समय पोस्टमार्टम के लिए दिया है।
टूटी हड्डियों से कई तरह की आशंकाएं: डीसीपी
इस बाबत डीसीपी काशी जोन आरएस गौतम ने बताया कि सामान्य मौत होने पर हड्डियां सुरक्षित रहती हैं। मौत कैसे हुई यह तो पता नहीं चलेगा, लेकिन अलग- अलग जगहों की टूटी हड्डी से कई आशंकाएं जरूर उत्पन्न होती हैं। क्राइम सीन हमने देखा, जिसमें मौत सामान्य प्रतीत हुई। दोनों बेटियों ने मां की मौत के बाद एक साल तक किसी को घर में घुसने नहीं दिया। ऐसे में पोस्टमार्टम कराना जरूरी है।
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