लहुराबीर स्थित एक होटल में कवि एवं पत्रकार मुकुल सरल के गजल पर की गई परिचर्चा

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वाराणसी। जनपद के लहुराबीर स्थित एक होटल में कवि एवं पत्रकार मुकुल सरल के गजल संग्रह मेरी आवाज में है तू शामिल पर परिचर्चा हुआ। जिसमें कवि, पत्रकार सहित गणमान्य लोगों ने उपस्थित होकर आज पत्रकारों पर लगातार हो रहे हमले, मुकदमे पर भी सख्त कदम उठाने का अनुरोध किया। कार्यक्रम में आयोजक पीपुल्स विजलेंस कमेटी आन ह्यूएन राइट्स श्रुति नागवंशी, लेनिन नागवंशी सहित अनेको रंगकर्मी उपस्थित थे।

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पत्रकारों से बातचीत के दौरान लेनिन नागवंशी ने कहा कि मानवाधिकार पर पीपुल्स विजिलेंस कमेटी (पीवीसीएचआर) एक ऐसे नायक को जनमित्र सम्मान से सम्मानित करते हुए गौरव महसूस कर रहा है, जिसने अदम्य साहस और नवाचार करने की दृढ़ता से वंचित समुदाय के उत्थान के लिए हमेशा जोखिम उठाया है। कवि, पत्रकार एवं संस्कृतिकर्मी मुकुल सरल को मौजूदा दौर में एक ऐसे मॉडल के रूप में देखा जा सकता है, जिन्होंने दबाव और सेंसरशिप का विरोध करने में हमेशा साहस प्रदर्शित किया।

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उन्होंने आगे कहा कि आज की दुनिया अभिव्यक्ति के भयंकर संकट से गुजर रही है। पूरी दुनिया में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता राजनेताओं और दब्बू मीडिया मालिकों के निशाने पर है। कई बार हम अपनी आत्मा बेचकर कहीं भी अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार खो देते हैं, लेकिन मुकुल ने हमेशा इन चुनौतियों का मुकाबला किया। जोखिम भरी कीमत चुकाने के बावजूद उन्होंने सत्य का खंभा हमेशा निर्भीकतापूर्वक खड़काया है। सूचना अराजकता, कलम पर सेंसरशिप पर विरोध दर्ज कराते हुए विघटनकारी ताकतों का कड़ा मुकाबला किया है। मुकुल वंचित समुदाय के उत्थान और तरक्की के लिए हमेशा विश्वसनीय रिपोर्टिंग को प्रमुखता दी।

'विश्व प्रेस आजादी तालिका के 180 देशों में भारत का 142 वां स्थान है। यदि पत्रकारिता किसी देश की इतनी फिसड्डी हो तो उसके लोकतंत्र का हाल क्या होगा? लोकतंत्र के तीन खंभे विधानपालिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के अलावा चौथा खंभा खबरपालिका है, जो सबकी खबर ले और सबको खबर दे। पहले तीन खंभों के मुकाबले सबसे ज्यादा मजबूत। हर शासक की कोशिश होती है कि इस खंभे को खोखला कर दिया जाए। इस दौर में मुकुल सरल ऐसे साहसी पत्रकार हैं जो अपनी कलम की धार से सत्तानसीनों के दम फुलाएगा।

मुकुल सरल देश के चर्चित मीडिया संस्थान न्यूजक्लिक (नई दिल्ली) में समाचार संपादक हैं। सत्तापक्ष से मिलने वाली तमाम धमकियों के बावजूद वह हमेशा अपने टैंक पर डटे रहे। निर्भीक और निष्पक्ष पत्रकार मुकुल जनमित्र सम्मान से भी बड़े सम्मान के पात्र हैं। इनका सम्मान उन जैसे सभी पत्रकारों का हौसला जरूर बढ़ाएगा। मुकुल सरल को बधाई।

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