अक्षय नवमी पर आंवला वृक्ष का विधि- विधान से हुआ पूजा आर्चन, समाजसेवी ने पर्यावरण बचाने का किया अपील
वाराणसी। कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि जिसे अछय नवमी के नाम से भी जाना जाता है। वेदो और पुराणो में वर्णन है कि अक्षय नवमी के दिन पूजन अर्चन करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आज के दिन पूजन करने के साथ ही आंवला वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर प्रसाद ग्रहण करने से आदमी निरोगी रहता है।
मुख्य अतिथि लोक भूषण सम्मान से सम्मानित साहित्यकार डॉ. जयप्रकाश मिश्र ने वेद मन्त्रों के बीच विधि- विधान से वृक्ष का पूजन किया। माला, भोग प्रसाद चढ़ाने के साथ ही वृक्ष की भव्य आरती की। इस अवसर पर साहित्यकार डॉक्टर जयप्रकाश मिश्रा ने कहा कि आंवला का पूजन करने का बहुत ही महत्व है। यह देव वृक्ष है और इसके नीचे भोजन करने से मानव जीवन निरोगी रहता है।
वहीं कार्यक्रम के संयोजक एवं जागृति फाउंडेशन के महासचिव रामयश मिश्रा ने कहा कि आज से 25 वर्ष पूर्व आंवला का यह पौधा रोपित किया गया, जो आज बड़ा होकर एक पेड़ का आकार ले लिया है और इसमें फल भी आने लगा है। इस पेड़ को लगाने का मात्र यही उद्देश्य था कि लोग पर्यावरण के प्रति सचेत हो और पेड़ पौधा लगाकर काशी को हरा भरा करें। अक्षय नवमी पर जब मैं अपने हाथों से लगाए हुए आंवले के वृक्ष के पास पहुंचा तो पेड़ में लगे आंवले को देखकर मन इतना प्रसन्न हुआ कि उसको मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। आज से 25 वर्ष पूर्व अस्सी स्थित गोयनका संस्कृत विद्यालय में लगाए गए आंवला का पेड़ आज बड़ा हो गया है और वह फल भी देने लगा है। आज उस वृछ के नीचे पूजन करके मन को असीम आनंद की प्राप्ति हुई। ऐसा लगा कि साक्षात वृक्ष के रूप में भगवान खड़े हैं। इस अवसर पर विनय कुमार मिश्रा, शिवम जायसवाल, आरती श्रीवास्तव, सत्यमशु जोशी आदि उपस्थित रहे।
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