'हेपेटाइटिस बी’ का टीका न लगाने पर 134 निजी चिकित्सालयों को दिया नोटिस

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वाराणसी। स्वास्थ्य विभाग ‘हेपेटाइटिस बी’ संक्रमण की रोकथाम के लिए निरंतर सक्रिय है। मंगलवार को मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय से जनपद के 134 निजी चिकित्सालयों को हेपेटाइटिस बी का टीका न लगाए जाने पर नोटिस दिया गया।

सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने अपील कि है कि जिन निजी चिकित्सालयों में शिशु के जन्म के 24 घंटे के अंदर हेपेटाइटिस बी का टीका नहीं लगाया जा रहा है। वह इस समस्या को जल्द से जल्द दूर कर टीका लगाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि सरकारी चिकित्सालयों में भी हो रहे प्रसव के 24 घंटे के अंदर नवजात शिशु को 'हेपेटाइटिस बी’ की एक डोज अवश्य लगवाएं, क्योंकि यह टीका शिशु को 'हेपेटाइटिस बी’ संक्रमण से बचाएगा। टीकाकरण बच्चों का जन्म सिद्ध अधिकार है। इसके लिए माता-पिता को सतर्क व जागरूक रहना चाहिए। 

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सीएमओ ने कहा कि 'हेपेटाइटिस बी’ दिखाई न देने वाली बीमारी है, जो कि धीरे-धीरे हमारे यकृत (लिवर) को खराब करती है। यह बीमारी एक बार यदि किसी को हो जाती है तो वह उम्र भर संक्रमित रहता है एवं दूसरों को भी प्रभावित करता है। यह संक्रमण रक्त, लार, योनि तरल पदार्थ और वीर्य जैसे संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से फैल सकता है। यह मां से उसके बच्चे में भी फैल सकता है। 'हेपेटाइटिस बी' के टीके से इसको सुरक्षित और प्रभावी तरीके से रोका जा सकता है। यह वायरस के खिलाफ लगभग सौ प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करता है।

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जिला प्रतिरक्षण अधिकारी व एसीएमओ डॉ. एके मौर्य ने बताया कि हेपेटाइटिस घातक बीमारी है जो एक बार हो जाती है तो धीरे – धीरे लिवर व पाचन तंत्र को क्षति पहुंचाती है, जिससे बचाव का एक मात्र तरीका है कि हर बच्चे को जन्म के 24 घंटे के अंदर ही 'हेपेटाइटिस बी' की एक खुराक दी जाए। हेपेटाइटिस बी की बर्थ डोज़ हर बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस कार्य में स्वास्थ्य विभाग का सहयोग करें।   

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गर्भावस्था और 'हेपेटाइटिस बी' - शहरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्गाकुंड की अधीक्षक व स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. सारिका राय ने कहा कि गर्भावस्था और गर्भस्थ शिशु को 'हेपेटाइटिस बी' से बचाव के लिए समय- समय पर जांच अवश्य करानी चाहिए। समय से जांच, उपचार और डॉक्टर से परामर्श से प्रसव के समय कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि पॉज़िटिव होने पर प्रसव के दौरान यह वायरस मां से शिशु तक पहुंचने की संभावना होती है। ऐसे में सुरक्षित प्रसव कराना आवश्यक है। साथ ही जन्म के तुरंत बाद शिशु को हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए, जिससे शिशु को इस संक्रमण से बचाया जा सके।

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