अनोखा है काशी का नौ दुर्गा मंदिर, देवी के नौ रूपों के होते हैं दर्शन, जानिये क्या है महात्म्य
वाराणसी। शिव की नगरी, इन दिनों शक्ति की आराधना में डूबी हुई है। शारदीय नवरात्र के अवसर पर यहां विशेष उत्साह के साथ मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जा रही है। काशी में नवरात्र के दौरान नौ दुर्गा और नौ गौरी की अलग-अलग मान्यता है, लेकिन दोनों का महत्व एक समान माना जाता है। काशी के भदैनी का नौदुर्गा मंदिर अपने आप में अनोखा है। यहां देवी के नौ रूपों के दर्शन होते हैं।
शारदीय नवरात्र में नौ दुर्गा और चैत्र नवरात्र में नौ गौरी की पूजा का विधान है। भक्तगण इन देवियों के दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं। काशी में प्राचीन काल से सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए नवरात्र के नौ दिनों में नौ अलग-अलग देवियों की पूजा और दर्शन का विशेष महत्व है। यह मान्यता है कि इन नौ दिनों में देवी के विभिन्न रूपों के दर्शन से भक्तगण मनवांछित फल प्राप्त करते हैं। लेकिन काशी में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां एक ही देवी के दर्शन से भक्त नौ देवियों के दर्शन का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। यह मंदिर भदैनी क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध "नौ दुर्गा मंदिर" है, जहां मां दुर्गा के नौ रूप एक ही मूर्ति में समाहित हैं।
मंदिर के पुजारी किशन दुबे के अनुसार, यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है और इसे एक अलौकिक मंदिर माना जाता है। उन्होंने बताया कि यह मंदिर विशिष्ट है क्योंकि यहां देवी दुर्गा स्वयंभू हैं, यानी उनकी मूर्ति को किसी ने स्थापित नहीं किया, बल्कि यह स्वयं प्रकट हुई थी। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां सच्चे मन से की गई प्रार्थनाएं अवश्य पूरी होती हैं। नवरात्र के दौरान यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जो देवी के दर्शन कर अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
सोनारपुरा की रहने वाली श्रद्धालु आरती ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से इस मंदिर में दर्शन के लिए आती रही हैं। उनका अनुभव है कि यहां मांगी गई हर मुराद जरूर पूरी होती है। यही वजह है कि मंदिर में हर साल नवरात्र के समय हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं और मां दुर्गा के नौ रूपों की कृपा प्राप्त करते हैं।
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