बेनियाबाग पार्क में राष्ट्रीय मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन, कवियों को किया गया सम्मानित

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वाराणसी। बेनियाबाग पार्क में गुरुवार को आयोजित राष्ट्रीय मुशायरा व कवि सम्मेलन में शायरों व कवियों ने एक से बढ़कर एक शेर-ओ-शायरी व काव्य वाणियों में समाज का दर्पण व देश भक्ति का जज्बा प्रस्तुत किया। सामाजिक विसंगतियां व व्यक्तिगत दर्द कुछ इस तरह से उजागर हुआ कि श्रोताओं ने यथार्थ को अनुभूत किया।

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मशहूर शायर डॉ. अमृत लाल इशरत की स्मृति व शनिवार गोष्ठी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित मुशायरा का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ। इस दौरान निधि गुप्ता कशिश ने 'नई पीढ़ी नए रिश्ते बनाने से हिचकती हैं' नामक मुशायरा की प्रस्तुति कर खूब तालियां बटोरीं। वहीं जुनेद अख्तर ने 'क्रातिल गवाह बनके अदालत में आ गए, मुझ पर मेरे ही कत्ल का इल्ज़ाम आ गया' नामक नामक काव्य की प्रस्तुति की।

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कल्याण विशाल ने सुनाया 'तुम्हारे नाम की मेहंदी मुझे गर ना लगी तो फिर हमारी जान ले लेगी तुम्हारे हाथ की मेहंदी।' मनीष मधुकर ने सुनाया- हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई मिलकर देश- बनाते हैं, तो हिंदुस्तान में रहने वालों हिंदुस्तान बना कर रखिये। फलक सुल्तानपुरी ने पढ़ा- ये है मेरा वतन, सारे जग से निराला है मेरा वतन। सुरेश अकेला ने सुनाया 'अब लगी आग दिल की बुझा लीजिए अपने दिल को जलाने से क्या फ़ायदा' किया।

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विकास विदीप्त, शिरीष उमंग, सलीम शिवालवी ने भी रचनाएं पेश की। अध्यक्षता करते हुए ख्यात व्यंग्यकार सुदामा तिवारी सांड बनारसी ने सुनाया- मस्जिद में अजान करो, मंदिर में सब पूजा करो, अज्ञान भी कान में गूंजा करे और घंटा और शंख भी गूंजा करेगा। संयोजन दमदार बनारसी ने किया। संचालन जमील अख्तर ने व धन्यवाद ज्ञापन जगदम्बा तुलस्यान ने किया।

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