बीएचयू उर्दू विभाग में मुशायरा, विभागाध्यक्ष बोले, स्वतंत्रता आंदोलन में उर्दू शायरी की अहम भूमिका
वाराणसी। बीएचयू के उर्दू विभाग में 'जश्न ए आज़ादी' शीर्षक से एक मुशायरे का आयोजन कला संकाय के राधाकृष्णन हाल में किया गया। इसके मुख्य अतिथि संकाय प्रमुख प्रोफ़ेसर मायाशंकर पाण्डेय रहे। इस दौरान देश की आजादी की लड़ाई में मुशायरे और उर्दू शायरी की भूमिका को लेकर चर्चा हुई।
संकाय प्रमुख ने कहा कि भारतीय भाषाओं में उर्दू इसलिए अहम है कि इस भाषा ने स्वतंत्रा संग्राम में अनेकों नारे दिए। आज भी इसकी गज़लें हमारे अंदर जोश ओ खरोश और देशभक्ति का जज़्बा पैदा करती है। अपने स्वागत वक्तव्य में विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर आफताब अहमद आफ़ाकी ने कहा कि विगत बीस वर्षों से उर्दू विभाग आज़ादी के शुभ अवसर पर मुशायरा जश्न ए आज़ादी का आयोजन करता आ रहा है। इसका उद्देश्य छात्र छात्राओं में साहित्य के प्रति रूचि पैदा करना है साथ ही शायरी के माध्यम से यह बताना भी ज़रूरी है कि जश्न ए आज़ादी में उर्दू शायरी की भी अहम भूमिका रही है। उर्दू गज़लें न केवल इश्क़ और मोहब्बत का पैग़ाम देता है, बल्कि हमारे समाज की दशा और दिशा को प्रतिबिंबित भी करती हैं।
इस मुशायरे में बनारस और आसपास के दर्जन की तादाद में नामचीन शायरों ने शिरकत की और अपने कलाम से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इन शायरों में असद रज़ा, अब्दुर्रहमान नूरी, अहमद आज़मी, आलम बनारसी, निज़ाम बनारसी, समर गाज़ीपुरी, शमीम गाज़ीपुरी, आबिद हाशिमी, अजफर बनारसी, सलीम शिवालवी, इश्रत जहां इत्यादि। इनकी शायरी में जहां एक ओर प्रेम और भाईचारे की बातें की तो दूसरी ओर अन्य ज़बानों के लिए रहनुमाई के पैग़ाम भी थे। मुशायरे की सदारत प्रोफ़ेसर आफ़ताब अहमद आफाकी और निज़ामत समर गाज़ीपुरी ने की।
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