नगर निगम: कूड़ा उठान की ऑनलाइन निगरानी के लिए शहर के सवा दो लाख मकानों पर लगने थे QR कोड, लगे केवल 10 हजार
ऐसा हम नहीं कह रहे हैं, ऐसा खुद नगर निगम के आंकड़े बता रहे हैं। जनवरी के 16 दिन बीत चुके हैं और अब तक मात्र आठ से दस हजार मकानों पर ही QR कोड लगा है। संभावित है कि 18 जनवरी को सदन की बैठक में कूड़ा उठान, दूषित पेयजल, सीवर सफाई के अलावा क्यूआर कोड का मुद्दा उठे।
निगम ने शहर के भवनों पर क्यूआर कोड लगाने की जिम्मेदारी वेस्ट साल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड को सौंपी है। अक्टूबर में दुर्गाकुंड (गुरुधाम कालोनी) के वार्ड नं 25 से इसका शुभारंभ महापौर अशोक कुमार तिवारी ने किया था। इसकी धीमी गति देखते हुए निगम की कार्यकारिणी ने कार्यदायी एजेंसी पर पेनाल्टी लगाने की बात भी कही थी। इसके बाद भी क्यूआर कोड लगाने की गति में कोई सुधार नहीं हुआ। इसी गति से कार्य हुआ तो निगम को क्यूआर कोड लगवाने में दो वर्ष लग सकता है।
जीपीएस से कनेक्ट होगा क्यूआर कोड
निगम क्यूआर कोड के साथ भवनों को जीपीएस से भी कनेक्ट कर रहा है। ऐसे में जिस भवन पर एक बार क्यूआर कोड लगा दिया जाएगा, उसके बाद यदि गायब हो जाता है तो भी कोई फर्क नहीं पड़ेगा। जैसे ही सफाई कर्मी घर में इंट्री करेगा। कमांड सेंटर में मैसेज आ जाएगा। वहीं कमांड सेंटर से कूड़ा के उठान का मैसेज भवन स्वामी के मोबाइल पर पहुंच जाएगा। इसमें गीला व सूखा कचड़ा अलग-अलग देने की अपील भी शामिल रहेगी। साथ ही शिकायत करने के लिए टोल फी नंबर 1533/18004199601 या स्मार्ट काशी एप का उल्लेख भी रहेगा।
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