गृहे-गृहे संस्कृत योजना अभियान के मासिक शिविर का हुआ समापन 

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वाराणसी। उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ द्वारा संचालित गृहे-गृहे संस्कृत योजना के अक्टूबर मासीय शिविर का समापन मच्छोदरी स्थित स्मार्ट प्राइमरी विद्यालय में हुआ। जिसमें मुख्य अतिथि रीता यादव ने कहा कि संस्कृत सीखना और सिखाना सौभाग्य की बात है।

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प्रशिक्षिका नन्दिनी ने कहा कि- 12 दिवसीय इस संस्कृत सम्भाषण शिविर में बच्चों को खेल, गीत, अभिनय इत्यादि के माध्यम से संस्कृत बोलना सिखाया गया। बच्चों के सर्वांगीण विकास में संस्कृत भाषा बहुत ही महत्त्वपूर्ण स्थान है। बच्चों में राष्ट्रीय, सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना जागृत कर, उनमें नैतिक मूल्यों का विकास करने में संस्कृत भाषा शिक्षण अहम् भूमिका निभाती है

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संस्कृत बोलने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और रक्त का प्रवाह बेहतर होता है। संस्कृत बोलने से जुबान साफ होती है, स्मरण शक्ति बढ़ती है। संस्कृत में इतनी वैज्ञानिकता होने के कारण ही, करोना काल के बाद से अमेरिका, रूस, स्वीडन, कनाड़ा, जर्मनी, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, आस्ट्रिया देशों में नर्सरी से ही बच्चों को संस्कृत पढ़ाई जाने लगी है।

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संस्कृतस्य कृते जीवन का समर्पित भाव लिए नन्दिनी 2020 से लगातार उत्तर प्रदेश के कई स्थानों पर संस्कृत संभाषण शिविर लगा कर हजारों छात्र-छात्राओं को संस्कृत के प्रति उत्साह जगाकर संस्कृत में बातचीत करने के लिए प्रेरित कर चुकी है। इस अवसर पर विद्यालय के सभी छात्र-छात्राएं व गुरूजन उपस्थित थे।

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