मेरे फूल मेरी टहनियां कविता का हुआ लोकार्पण, साहित्यकारों ने डा. रचना शर्मा की रचनाओं पर रखे विचार 

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वाराणसी। नागरी नाटक मंडली के ट्रस्ट क्लब सभागार में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें रचना शर्मा के कविता संग्रह `मेरे फूल मेरी टहनियां  का लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर मुक्ता ने रचना शर्मा की कविताओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। 

काशी हिंदू विश्वविद्यालय के हिंदी-विभाग के अध्यापक डा. अशोक कुमार ज्योति ने कहा कि 'मेरे फूल मेरी टहनियाँ' काव्यकृति में जो भाव-शाखाएँ और शब्द-पुष्प हैं, वे जीवन और जगत् के विविध रंगों से आपूरित हैं। इसमें प्रेम के संयोग और वियोग शृंगार के उल्लासमय रंग हैं तो प्रेम में पगी स्त्री-मन के समर्पण का अनूठा रंग भी है। इसमें स्त्री-स्वातंत्र्य और सह-अस्तित्व के चिंतन के गवाक्ष हैं। इसमें मनुष्यता की प्रतिस्थापना के समभाव भी हैं तो आदर्श परिवेश और नैतिक मूल्यों की तलाश भी।

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विशिष्ट अतिथि डा. भावना शेखर ने कहा कि  "मेरे फूल मेरी टहनियां" की विविध वर्णी कविताओं में सबसे चटख रंग स्त्री विमर्श का है। इसे मध्यवर्गीय स्त्री की वेदना का दस्तावेज कहा जा सकता है. अधिकांश कविताएं बार-बार स्त्री के स्वप्न और पुरुष की छलना की बात करती हैं।  स्त्री के सपने सतरंगी आसमान की उड़ान भरना चाहते हैं पर पुरुष की छलना उन्हें खुरदरे धरातल पर लाकर पटक देती है। अपनों की निष्ठुरता, समाज की बंदिशें और पुरुष का छल स्त्री को पग पग पर तोड़ता है, उसे एकाकीपन के सन्नाटे में धकेलता है। 

दिल्ली से आए आलोचक और भाषाविद डा. ओम निश्चल ने गए तीन दशकों से लिख रही प्रो. रचना शर्मा के संग्रह मेरे फूल मेरी टहनियां को वर्तमान का एक महत्वपूर्ण संग्रह बताया और कहा कि उनकी लेखनी में उत्तरोत्तर निखार आया है। 

इस अवसर पर प्रो सुधा पांडेय, दिनेशचंद्र मुगलसराय और डा श्रद्धानंद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस दौरान आलोक विमल,  मंजरी पांडेय, संगीता श्रीवास्तव,  वत्सला,  सौम्या शर्मा,  गीता रानी,  शुभलक्ष्मी, कमलेश कुमार तिवारी, सुरेंद्र बाजपेई, डॉ वी पी तिवारी, सविता सौरभ, डा.शांति स्वरूप  सिन्हा, अत्रि भारद्वाज और डा.शशिकला पांडेय तथा नगर के अनेक संस्कृतिकर्मी, पत्रकार और अध्यापकगण उपस्थित थे।

सर्वभाषा ट्रस्ट की ओर से आयोजित इस समारोह की शुरुआत सरस्वती वंदना और अतिथियों के स्वागत से हुई। कार्यक्रम का संचालन सुपरिचित लेखक नवल किशोर गुप्ता ने किया। आलोक विमल ने उपस्थित लेखकों कवियों, पत्रकारों आदि के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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