काशी में गूंजी तमिल की मधुर ध्वनि : नमो घाट पर एनसीसी कैडेट्स ने सीखी तमिल भाषा, सांस्कृतिक एकता का अद्भुत अनुभव

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वाराणसी। काशी तमिल संगमम् 4.0 के अंतर्गत मंगलवार को नमो घाट पर एक विशेष सांस्कृतिक–शैक्षिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें राधा किशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज (रामनगर) की एनसीसी कैडेट्स ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। आयोजन का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण भारत की भाषाओं, परंपराओं और सांस्कृतिक विरासत को एक सूत्र में जोड़ना था।

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तमिल भाषा का अभ्यास कर उत्साहित दिखीं छात्राएँ
तमिलनाडु से आए प्रशिक्षकों और प्रतिनिधियों के मार्गदर्शन में एनसीसी कैडेट्स ने तमिल भाषा के कुछ महत्वपूर्ण शब्द और वाक्यों का अभ्यास किया। छात्रों ने बताया कि यह उनके लिए केवल भाषा सीखने का अवसर नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक पुल का अनुभव था।

एक छात्रा ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा “आज हमने तमिल भाषा को नजदीक से जाना। समझ आया कि भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों को जोड़ने वाली कड़ी है। ‘काशी तमिल संगमम्’ की वजह से हमें यह अद्भुत अवसर मिला, इसके लिए हम प्रधानमंत्री मोदी जी और शिक्षा मंत्रालय के आभारी हैं।”

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‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मिला नया आयाम
एनसीसी छात्रों ने कहा कि यह अनुभव उन्हें भारत की विविधता और एकता का वास्तविक अर्थ समझाता है। उनके शब्दों में “हमारी विविधता हमारी शक्ति है। यह कार्यक्रम हमें न केवल भाषाई विविधता से जोड़ता है, बल्कि राष्ट्रीय एकता को मजबूत करता है।”

साहित्य, संस्कृति और परंपरा से भी कराया परिचय
नमो घाट पर आयोजित इस सत्र के दौरान छात्राओं को तमिल भाषा के साथ–साथ तमिल साहित्य, सांस्कृतिक परंपराओं और ऐतिहासिक मान्यताओं के बारे में भी जानकारी दी गई। इससे छात्रों में भारतीय संस्कृति की समृद्धि और एकता के प्रति नई ऊर्जा और जागरूकता का संचार हुआ।

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उत्साह के साथ लगाया नारा — ‘वडक्कम काशी’, ‘हर हर महादेव’
कार्यक्रम के अंत में छात्राओं ने प्रतिनिधियों के साथ मिलकर ‘वडक्कम काशी’ और ‘हर हर महादेव’ के ऊर्जावान नारे लगाए। साथ ही उन्होंने संकल्प लिया कि “हम इस अनुभव को अपने साथियों तक पहुँचाएँगे और देश की एकता एवं सांस्कृतिक सौहार्द को हमेशा प्राथमिकता देंगे।”

काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत आयोजित यह अनूठा कार्यक्रम युवाओं को न केवल नई भाषा और संस्कृति से परिचित कर रहा है, बल्कि देश के उत्तर और दक्षिण के बीच सांस्कृतिक सेतु को और भी मजबूत बना रहा है।

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