बाबा कीनाराम स्थल पर होगा सामूहिक विवाह का आयोजन, अघोराचार्य के 'अवतरण दिवस' बेटियां लेंगी सात फेरे, जुटेंगे 10 हजार लोग

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वाराणसी। समाज में दहेज प्रथा और महंगी शादियों के विरोध में एक सशक्त विकल्प के रूप में उभरे सामूहिक विवाह कार्यक्रम अब सिर्फ एक रस्म नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बनते जा रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार को विश्वविख्यात अघोरपीठ "बाबा कीनाराम स्थल, क्रीं-कुंड" के तत्वावधान में एक भव्य सामूहिक विवाह कार्यक्रम का आयोजन होने जा रहा है। यह आयोजन अघोराचार्य महाराजश्री बाबा सिद्धार्थ गौतम राम के 'अवतरण दिवस' के पावन अवसर पर उनके संरक्षण और मार्गदर्शन में संपन्न होगा।

अघोर परंपरा के इस पावन केंद्र पर आयोजित यह विवाह समारोह कई दृष्टियों से विशेष है। आयोजन की जानकारी देते हुए "बाबा कीनाराम अघोर शोध एवं सेवा संस्थान" के प्रधान व्यवस्थापक अरुण सिंह ने बताया कि संस्था समाज के जरूरतमंद वर्गों की सेवा के लिए निरंतर प्रयासरत है। यह सामूहिक विवाह कार्यक्रम भी उन्हीं प्रयासों की एक कड़ी है। उन्होंने कहा कि संस्था ने सामाजिक सरोकारों को केंद्र में रखकर विवाह जैसे आयोजनों को एक सेवा भाव में ढाल दिया है, जिससे गरीब परिवारों को सामाजिक सम्मान और आर्थिक राहत दोनों मिल सके।

कार्यक्रम आयोजन समिति के प्रमुख सदस्य अनूप सिंह ‘मंटू’ ने बताया कि उत्तर प्रदेश, बिहार और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में संस्था के कार्यकर्ता सक्रिय रूप से जरूरतमंद परिवारों से संपर्क में हैं। उनका प्रयास है कि ऐसे परिवार, जो आर्थिक तंगी के कारण बेटियों की शादी में असहाय महसूस करते हैं, उन्हें संस्था का सहयोग प्राप्त हो सके।

अनूप सिंह ने कहा कि संस्था इस आयोजन को पूरी गरिमा और अपनत्व के साथ संपन्न कराने के लिए प्रतिबद्ध है। शादी के दौरान वर-वधू और उनके परिवारों को घर जैसा माहौल देने के लिए हर संभव व्यवस्था की गई है। आवास, भोजन, परिवहन, वस्त्र, श्रृंगार से लेकर विवाह पंडाल की सजावट तक, हर पहलू को संस्था द्वारा सुनियोजित तरीके से संभाला गया है।

कार्यक्रम आयोजन समिति की सदस्य रूबी सिंह ने भी तैयारियों पर संतोष जताया और बताया कि संस्था का उद्देश्य केवल विवाह कराना नहीं, बल्कि वर-वधू और उनके माता-पिता को तनावमुक्त और सम्मानजनक वातावरण देना है। उन्होंने कहा कि एक विवाह के लिए जितनी भी आवश्यक चीजें होती हैं – चाहे वह कपड़े, जेवर, खानपान, यात्रा या पंडाल हो – सब कुछ संस्था की ओर से उपलब्ध कराया जा रहा है, जिससे किसी भी परिवार को अभाव या हीनता का अनुभव न हो।

कार्यक्रम में करीब 5 से 10 हजार लोगों की उपस्थिति की संभावना जताई गई है, जिनमें समाजसेवी, साधु-संत, गणमान्य नागरिक और आमजन शामिल होंगे। संस्था के प्रधान व्यवस्थापक अरुण सिंह ने उम्मीद जताई कि यह आयोजन समाज में एक सकारात्मक संदेश देगा और आने वाले समय में इस तरह के और आयोजनों को बढ़ावा मिलेगा।
 

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