वाराणसी के चोलापुर व जैतपुरा में शनिवार से सामूहिक दवा सेवन अभियान, फाइलेरिया उन्मूलन को स्वास्थ्य विभाग ने बनाई रणनीति
वाराणसी। मच्छरों के काटने से होने वाली फाइलेरिया यानि हाथीपांव एक लाइलाज बीमारी है। मच्छर हम सभी को काटते हैं, इसलिए यह बीमारी किसी को भी हो सकती है। बीमारी की गंभीर स्थिति में रोगी के प्रभावित अंगों (हाथ-पैर, अंडकोष, स्तन) में इतनी सूजन आ जाती है कि वह अपनी दैनिक दिनचर्या भी नहीं कर पाता। इस बीमारी की रोकथाम के लिए 10 फरवरी से सामूहिक दवा सेवन (एमडीए) ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए अभियान चलाकर घर-घर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाई जाएगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ संदीप चौधरी ने दुर्गाकुंड स्थित मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में फाइलेरिया आईडीए अभियान के संबंध में सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में इसकी जानकारी दी।
सीएमओ ने कहा कि 10 से 28 फरवरी तक ट्रिपल ड्रग थेरेपी आईडीए (आइवर्मेक्टिन डीईसी एल्बेण्डाजोल) अभियान जनपद के चोलापुर ब्लॉक व जैतापुर क्षेत्र में चलेगा। इसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों को अपने सामने फाइलेरिया रोधी दवा खिलाएंगे। उन्होंने बताया कि इस अभियान में ‘डीईसी एल्बेण्डाजोल’ दवा आयु वर्ग के अनुसार एवं आइवरमेक्टिन दवा ऊंचाई-उम्र के अनुसार खिलाई जाएगी। यह दवा दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अतिगंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को नहीं खिलाना है। शेष सभी लोगों को यह दवा खिलाई जाएगी। दवा खाली पेट नहीं खानी है और दवा की सही खुराक सभी सेवन कर लें, इसलिए इसे स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही खाना आवश्यक है।
अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी व नोडल अधिकारी डॉ एसएस कनौजिया ने जनसमुदाय से अपील किया कि जब भी आशा कार्यकर्ता व उनकी सहयोगी दवा खिलाने जाएं तो उनका सहयोग करें। घर के सभी पात्र लाभार्थी को दवा अवश्य खिलाएं। दवा खिलाने के लिए बनाई गई प्रत्येक टीम एक दिन में 25 घर जाकर दवा खिलाएगी। उन्होंने बताया कि चोलापुर ब्लॉक में लक्षित आबादी 2.81 लाख तथा जैतपुरा क्षेत्र में 66,200 को आच्छादित करने के लिए क्रमशः 226 व 54 टीम बनाई गई हैं। दवा का सेवन कराने वाले चोलापुर में 452 एवं जैतपुरा में 106 स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित किया गया है। इसके पर्यवेक्षण के लिए कुल 55 सुपरवाइज़र तैनात किए गए हैं।
सुरक्षित व कारगर है दवा
जिला मलेरिया अधिकारी शरदचंद पांडेय ने बताया कि फाइलेरिया से बचाव की दवाएं डबल्यूएचओ द्वारा प्रमाणित हैं। यह दवाएं सुरक्षित हैं व फाइलेरिया रोग से बचाव में कारगर हैं। कुछ लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने के कुछ देर बाद सिरदर्द, बुखार, उल्टी, बदन में चकत्ते और खुजली जैसी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल सकती हैं। इससे घबराना नहीं है। यह शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी के नष्ट होने की वजह से होता है और आमतौर पर यह स्वतः ठीक हो जाता है । अगर किसी को ज्यादा दिक्कत हो तो आशा कार्यकर्ता के माध्यम से ब्लॉक रिस्पांस टीम को सूचित कर सकता है।
क्या है फाइलेरिया
बायोलॉजिस्ट एवं प्रभारी डॉ अमित कुमार सिंह ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी में पैरों और हाथों में सूजन के अलावा पुरुषों के अंडकोष में व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है। यह सूजन मच्छर काटने के बाद 5 से 15 साल बाद आती है। एक बार सूजन आने के बाद इसका कोई इलाज नहीं है। इससे बचने के लिए साल में एक बार फाइलेरिया रोधी दवाएं खिलाई जाती हैं। दवा व्यक्ति के शरीर में मौजूद फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवियों को मार देती है और लोग इस बीमारी से सुरक्षित हो जाते हैं।
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