वाराणसी में उर्वरक व बीज भंडारों पर बड़ी कार्रवाई, 59 बिक्री केंद्रों की जांच, 25 नमूने लिए गए
वाराणसी।किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराने, कालाबाजारी रोकने और उर्वरकों की गुणवत्ता बनाए रखने के उद्देश्य से जनपद में मंगलवार को व्यापक छापेमारी अभियान चलाया गया। शासन के निर्देश पर जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार के आदेश और मुख्य विकास अधिकारी प्रखर कुमार सिंह के नेतृत्व में उर्वरक निरीक्षकों एवं विभिन्न विभागों के अधिकारियों की संयुक्त टीमें गठित कर यह कार्रवाई की गई।

इस अभियान के तहत साधन सहकारी समितियों, पीसीएफ विक्रय केंद्रों, इफको सेवा केंद्र, आईएफएफडीसी, औद्यानिक समितियों और निजी उर्वरक विक्रेताओं के बिक्री केंद्रों व गोदामों की जांच की गई। अलग-अलग विकास खंडों में चार टीमों ने एक साथ छापेमारी की और कुल 59 बिक्री केंद्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान गुणवत्ता जांच के लिए 25 उर्वरक के नमूने भी लिए गए।

जांच के दौरान कई स्थानों पर उर्वरकों का रख-रखाव सही नहीं पाया गया। कुछ दुकानों पर रेट बोर्ड अपडेट नहीं थे, कहीं प्रतिष्ठान बंद मिले तो कहीं आवश्यक अभिलेख अधूरे पाए गए। इन खामियों के चलते कुल 9 उर्वरक बिक्री प्रतिष्ठानों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

प्रशासन ने सभी उर्वरक विक्रेताओं को निर्देश दिया है कि वे अपनी दुकानों पर स्पष्ट रूप से रेट बोर्ड लगाएं, जिसमें उर्वरकों का निर्धारित मूल्य और सरकार द्वारा दी जा रही सब्सिडी की जानकारी हो। साथ ही किसानों को उनकी खतौनी के अनुसार पीओएस मशीन से अंगूठा लगवाकर ही तय दर पर उर्वरक दिया जाए। अधिक कीमत वसूलने या पीओएस मशीन के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

कृषि विभाग ने किसानों को आश्वस्त किया है कि जिले में फिलहाल यूरिया और डीएपी उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता है और कहीं कोई कमी नहीं है। उर्वरक से संबंधित किसी भी समस्या के लिए किसान विकास भवन के चौथे तल पर बने उर्वरक कंट्रोल रूम में संपर्क कर सकते हैं।

इसके साथ ही किसानों को सलाह दी गई है कि गेहूं की फसल में बुवाई के 20 से 21 दिन बाद पहली सिंचाई अवश्य करें, क्योंकि यह सिंचाई फसल की बढ़वार के लिए बेहद जरूरी होती है। जिन किसानों ने सिंचाई कर ली है, वे समय पर यूरिया की टॉप ड्रेसिंग करें और जरूरत पड़ने पर खरपतवार नाशी का भी प्रयोग करें।




