महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल 2025: कला और संस्कृति के माध्यम से वाराणसी के विद्यार्थियों से संवाद
वाराणसी। महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल अपने 9वें संस्करण के साथ 19 से 21 दिसंबर 2025 तक एक बार फिर काशी की धरती पर लौटने जा रहा है। यह फ़ेस्टिवल 15वीं शताब्दी के महान संत-कवि कबीर के जीवन, लेखन और दर्शन का उत्सव है, जिनकी विचारधारा वाराणसी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना में गहराई से रची-बसी है। संगीत, कविता, कला और विचारों को एक सूत्र में पिरोता यह आयोजन बनारस की उस कलात्मक परंपरा को सामने लाता है, जो समय की सीमाओं को लांघती हुई आज भी जीवंत है।
कबीर की विरासत से नई पीढ़ी का जुड़ाव
मुख्य फ़ेस्टिवल से पहले, 18 से 20 नवंबर तक तीन दिवसीय आउटरीच प्रोग्राम आयोजित किया गया, जिसके तहत महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल की टीम ने वाराणसी के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों का दौरा किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को कबीर की शिक्षाओं और अपने शहर की सांस्कृतिक विरासत से जोड़ना था। संवाद, कला और रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों ने न केवल कबीर के विचारों को समझा, बल्कि अपने शहर के प्रति गर्व और अपनापन भी महसूस किया।
कबीरा आर्ट प्रोजेक्ट से मिला रचनात्मक मंच
आउटरीच प्रोग्राम के दौरान विद्यार्थियों को कबीरा आर्ट प्रोजेक्ट में भाग लेने का अवसर भी मिला। इस पहल के तहत विद्यार्थियों द्वारा तैयार किए गए आर्टवर्क को प्रतिष्ठित कलाकारों के साथ प्रदर्शित किया गया। मार्गदर्शन और खुले मंच के माध्यम से विद्यार्थियों को अपनी रचनात्मक अभिव्यक्ति को विस्तार देने का अवसर मिला, जिससे वे वाराणसी के सक्रिय कलाकार समुदाय का हिस्सा बन सके। इस अनुभव ने उन्हें फ़ेस्टिवल का एंबेसडर बनने के लिए भी प्रेरित किया।
महिंद्रा समूह का दृष्टिकोण
महिंद्रा समूह के वाइस प्रेसिडेंट एवं कल्चरल आउटरीच के हेड जय शाह ने कहा कि महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल हमेशा से कबीर की कालजयी विचारधारा का उत्सव मनाता आया है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष वाराणसी के विद्यार्थियों के साथ जुड़ाव विशेष रूप से अर्थपूर्ण है, क्योंकि बनारस ऐसा शहर है जहाँ रचनात्मकता, भक्ति और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति रोज़मर्रा के जीवन का हिस्सा हैं। कला, संगीत और संवाद के माध्यम से युवाओं को जोड़कर फ़ेस्टिवल न केवल भावी कलाकारों, बल्कि शहर की विरासत के भावी संरक्षकों को भी तैयार कर रहा है।
परंपरा और नवाचार के बीच सेतु
टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने कहा कि वाराणसी केवल कबीर की शिक्षाओं की जन्मभूमि नहीं, बल्कि परंपरा और नवाचार का एक जीवंत कैनवास है। कबीरा आर्ट एक्सपीरियंस और आउटरीच प्रोग्राम का उद्देश्य पीढ़ियों के बीच एक पुल बनाना है, जहाँ युवा ऊर्जा सदियों पुरानी कलात्मक परंपराओं से संवाद करती है। विद्यार्थियों को स्थापित कलाकारों के साथ अपनी कला प्रदर्शित करते देखना इस विश्वास को मजबूत करता है कि कला में लोगों को जोड़ने और प्रेरित करने की अद्भुत शक्ति है।
काशी की सांस्कृतिक पहचान को नई ऊर्जा
महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल 2025 वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान को और सशक्त करते हुए उसकी ऐतिहासिक विरासत को समकालीन कलात्मक अभिव्यक्ति से जोड़ता है। प्राचीन मंदिरों में गूंजते शास्त्रीय संगीत के सुर हों या शहर की ऊर्जा को दर्शाते रंगीन ब्रश-स्ट्रोक्स, यह फ़ेस्टिवल कबीर की एकता, रचनात्मकता और आत्मचिंतन की दृष्टि को काशी के हृदय में जीवंत करता है। साथ ही, यह नई पीढ़ी को इस शाश्वत विरासत को अपनाने और आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करता है।

