अंतरराष्ट्रीय मंच पर काशी की अकादमिक उपलब्धि : GiG 2026 में बीएचयू के जर्मन अध्ययन विभाग के दो शोध पत्र चयनित
वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के जर्मन अध्ययन विभाग के लिए यह अत्यंत गौरव का विषय है कि विभाग के दो शोध पत्रों का चयन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन Gesellschaft für interkulturelle Germanistik (GiG) 2026 में प्रस्तुति के लिए किया गया है। यह सम्मेलन वर्ष 2026 में बैंकॉक, थाईलैंड में आयोजित किया जाएगा।
विविधता, संवाद और अंतर-सांस्कृतिक अध्ययन पर केंद्रित है GiG 2026
GiG सम्मेलन जर्मन अध्ययन के क्षेत्र में विश्व के सबसे प्रतिष्ठित अकादमिक मंचों में से एक माना जाता है, जिसमें भाषा, साहित्य, संस्कृति और अंतर-सांस्कृतिक संवाद पर वैश्विक स्तर के विद्वान विचार-विमर्श करते हैं। GiG 2026 का मुख्य विषय विविधता, भिन्नता और संवाद है, जिसका उद्देश्य वैश्विक अकादमिक सहयोग को और सशक्त बनाना है।
पहला शोध पत्र: सामाजिक बहिष्कार और मानवीय गरिमा पर अध्ययन
पहला शोध पत्र डॉ. सत्य प्रकाश द्वारा लिखा गया है, जिसका शीर्षक है “कोढ़ और हाशियाकरण: तारा स्टेला डीटजेंस की पुस्तक ‘अनटचेबल: माई लाइफ अमंग द बेगर्स ऑफ बनारस’ का अंतर-सांस्कृतिक अध्ययन”। यह शोध भारत में हाशिये पर रहने वाले समुदायों के अनुभवों और सामाजिक बहिष्कार की समस्या को गहराई से विश्लेषित करता है।
डॉ. सत्य प्रकाश का यह अध्ययन वर्तमान सामाजिक-सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में अत्यंत प्रासंगिक है, जहां गरिमा, मानवाधिकार और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दे वैश्विक विमर्श का हिस्सा बने हुए हैं। यह शोध जर्मन अध्ययन, उत्तर-औपनिवेशिक अध्ययन और सामाजिक मानवशास्त्र के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण योगदान देता है।
दूसरा शोध पत्र: शोक, भाषा और संस्कृति के बीच संवाद
दूसरा शोध पत्र विशाल कुमार झा एवं डॉ. ओम प्रकाश द्वारा संयुक्त रूप से लिखा गया है, जिसका शीर्षक है “शोक: सांस्कृतिक और भाषायी विविधता का स्थल - पॉल सेलान और मुक्तिबोध के बीच अंतर-सांस्कृतिक संवाद”।
यह शोध शोक को एक सार्वभौमिक लेकिन सांस्कृतिक रूप से प्रभावित मानवीय अनुभव के रूप में प्रस्तुत करता है। जर्मन कवि पॉल सेलान और हिंदी साहित्यकार मुक्तिबोध के बीच संवाद स्थापित करते हुए यह अध्ययन तुलनात्मक साहित्य और स्मृति अध्ययन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देता है तथा जर्मन और भारतीय साहित्यिक परंपराओं के बीच अकादमिक सेतु का कार्य करता है।
विभाग की अंतरराष्ट्रीय पहचान को मिला विस्तार
इन दोनों शोध पत्रों का चयन जर्मन अध्ययन विभाग के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते प्रभाव और अंतर-सांस्कृतिक शोध की मजबूती को दर्शाता है। इससे न केवल बीएचयू बल्कि भारतीय अकादमिक जगत की वैश्विक पहचान भी सुदृढ़ हुई है।
शिक्षकों और छात्रों ने दी बधाई
इस उपलब्धि पर जर्मन अध्ययन विभाग के शिक्षकों एवं विद्यार्थियों में हर्ष का माहौल है। डॉ. अमित कुमार सैनी और आलोक उपाध्याय सहित विभाग के कई सदस्यों ने शोधकर्ताओं को हार्दिक बधाई देते हुए इसे विभाग के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
यह सफलता अंतरराष्ट्रीय अकादमिक मंच पर बीएचयू की सशक्त उपस्थिति और अंतर-सांस्कृतिक संवाद की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

