हजारों वर्षों से आबाद है काशी, चार हजार वर्षों से मानवीय आवास के प्रमाण 

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वाराणसी। विश्व विरासत दिवस के उपलक्ष्य में वसन्त कन्या महाविद्यालय कमच्छा, वाराणसी और क्षेत्रीय पुरातत्त्व इकाई वाराणसी, उत्तर प्रदेश राज्य पुरातत्त्व विभाग के संयुक्त तत्वावधान में छह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन वसंत कन्या महाविद्यालय कमच्छा में आयोजित किया गया। इसमें वाराणसी की विरासत एवं पुरातत्व : पुरातात्त्विक परिपेक्ष्य में वाराणसी की मूर्त विरासत विषय पर चर्चा की गई। इस दौरान पुरातत्वविदों ने पुष्टि किया कि पिछले चार हजार सालों से काशी में मानवीय आवास के प्रमाण मिले हैं। 
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कार्यशाला में वाराणसी के पुरातात्विक उत्खननो से प्राप्त अवशेषों और स्मारकों के विश्लेषण से काशी के इतिहास, संस्कृति, प्राचीनता, अंतर्संबंधों जैसे विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की पूर्व विभागाध्यक्ष व ख्यातिलब्ध पुरातत्वविद प्रो. विदुला जायसवाल एवं क्षेत्रीय पुरातत्त्व अधिकारी वाराणसी क्षेत्र डा. सुभाष चन्द्र यादव ने अपने व्याख्यानों के माध्यम से काशी के उत्खनित स्थलों यथा सारनाथ, अकथा, तिलमापुर, कोटवा,आशापुर, सरायमोहना, राजघाट, रामनगर, शूलटंकेश्वर तथा सरस्वती फाटक से प्राप्त पुरावशेषों और स्मारकों तथा शहर में स्थित अन्य स्मारकों के की विशेषता, महत्त्व, उनके अनुरक्षण और परिरक्षण के विषय में गहन जानकारी प्रदान की। 

कार्यशाला में वाराणसी के विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा महाविद्यालयों के 50 से अधिक विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया और अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से परिचित हुए। प्रतिभागियों को ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण भी कराया गया। कार्यशाला के आयोजन का संयोजन डा. नैरंजना श्रीवास्तव, डा. आरती कुमारी तथा डा. आरती चौधरी ने किया। कार्यक्रम के समापन के अवसर पर प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। 

इस अवसर पर डा. ओमप्रकाश, डा. राजीव कुमार जायसवाल, डा. आराधना सिंह, जयदीप सिंह, वन्दना गुप्ता, पंचबहादुर सहित बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।

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