आयोडीन की कमी से पनपती हैं खतरनाक बीमारियां, प्रभावित होता है गर्भस्थ शिशुओं का विकास
वाराणसी। ग्लोबल आयोडीन अल्पता निवारण दिवस के अवसर पर विशेष जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आयोडीन की कमी से होने वाली बीमारियों के बारे में अवगत कराया गया। साथ ही शरीर के विकास में आयोडीन के महत्व पर चर्चा की गई।
इस मौके पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि आयोडीन की कमी से घेंघा रोग, मानसिक अवसाद, और गर्भस्थ शिशुओं के विकास पर नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। शरीर में थायराइड हार्मोन के निर्माण के लिए आयोडीन आवश्यक है, जो मेटाबॉलिज्म और अन्य शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करता है।
डॉ. चौधरी ने कहा कि आयोडीन की कमी से थायराइड ग्रंथि असंतुलित हो जाती है, जिससे घेंघा, हृदयाघात, याददाश्त में कमी, महिलाओं में प्रजनन क्षमता की कमी और पुरुषों व महिलाओं दोनों में प्रजनन तंत्र से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। उन्होंने यह भी बताया कि सब्जियां, दही, अंडा, कच्चा पनीर, और नारियल पानी में आयोडीन की पर्याप्त मात्रा होती है। एक वयस्क को प्रतिदिन 150 माइक्रोग्राम आयोडीन की आवश्यकता होती है, जबकि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को 200 माइक्रोग्राम की आवश्यकता होती है।
उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी और कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ. वाई.बी. पाठक ने बताया कि इस दिवस के अवसर पर जनपद के सभी ब्लॉकों में जन-जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए। आयुष्मान आरोग्य मंदिर कार्य क्षेत्र में हुए इन कार्यक्रमों में सीएचओ, एएनएम, आशा कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, शिक्षक और पंचायती राज संस्था के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। आयोडीन की कमी के लक्षणों में गले की सूजन, वजन का बढ़ना, थकान, बालों का झड़ना, त्वचा का रुखापन, और गर्भधारण में समस्या शामिल हैं। आयोडीन युक्त नमक का नियमित सेवन इन समस्याओं से बचाव में सहायक हो सकता है।
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