BHU में ’अंडरस्टैंडिंग इंडियाज कम्पोजिट कल्चर थ्रू द ट्रेडीशन ऑफ डेवोशनल सांग्स’ शीर्षक पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन

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वाराणसी। सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के तत्वाधान में ’अंडरस्टैंडिंग इंडियाज कम्पोजिट कल्चर थ्रू द ट्रेडीशन ऑफ डेवोशनल सांग्स’ शीर्षक पर अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिनकी अध्यक्षता प्रो. घनश्याम, प्रो. अर्चना कुमार एवं प्रो. अशफाक अहमद ने किया। इस दौरान देश-विदेश के अतिथि, विद्वानों एवं प्रतिभागियों के द्वारा शोध पत्र भी पढ़ें गए।

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अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के प्रथम सत्र में प्रो. अश्विनी देसाई, प्रो. प्रियदर्शी पटनायक, प्रो. मोहन के. गौतम आदि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्यातिलब्धि विद्वानों ने अपने उद्बोधनों से प्रतिभागियों एवं अन्य शोधार्थियों को सांस्कृतिक अध्ययन एवं धर्म के समाजशास्त्र के क्षेत्र में अध्ययन हेतु अंतर्दृष्टि प्रदान किया। अपने शोध-पत्रों के माध्यम से उन्होंने दक्षिण भारत के नयनार संतों एवं अन्य के पदों को संदर्भित करते हुए समाज को दिशा देने एवं संस्कृति परिवर्धन में उनकी भूमिका को रेखांकित किया।

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संगोष्ठी के द्वितीय सत्र में दक्षिण अफ्रीका के प्रो. बृज महाराज ने अफ्रीका महाद्वीप में प्रचलित हिंदू त्योहारों एवं प्रवासी भारतीयों के द्वारा विभिन्न आयोजनों एवं माध्यमों के द्वारा हिंदू देव स्तुतियों-गीतों के गायन एवं बढ़ते प्रचलन पर अपना शोध पत्र सारगर्भित रुप से प्रस्तुत किया। साथ में प्रो. पाल जकारिया ने केरल में ईसाई धर्म के विकास एवं मलयालम भाषा में ईसाई प्रार्थना गीतों के माध्यम से ईसाई धर्म को विस्तार देने की प्रक्रिया का नृजातीय अध्ययन की दृष्टि से अपने शोध पत्र के द्वारा समीक्षात्मक वर्णन किया।

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संगोष्ठी के अंतिम चरण में विभिन्न संप्रदायों के संतों के पदों, गीतों, दोहों, गुरुवाणी आदि की संगीतमय प्रस्तुति हुई। जिसमें कश्मीर की लालेश्वरी परंपरा पर डॉ. अंजलि की प्रस्तुति एवं राजस्थान के प्रख्यात भजन गायक पद्मश्री मुन्ना मास्टर की प्रस्तुति प्रमुख रही। इसके साथ-साथ गुरबाणी का भी आयोजन किया गया। इन आयोजनों के माध्यम से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा का जीवंत चित्रण करने का एक सार्थक प्रयास रहा। साथ ही इन आयोजनों के माध्यम से यह दृष्टिगत किया गया कि भारत एक ऐसा देश है जहां सभी धर्म, संप्रदाय एवं विविध विचारों के लोग एक धागे में बधे माले के समान रहते ही नहीं है, बल्कि लोगों को एक साथ लेकर चलते भी हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में भारत के विविध राज्यों सहित दक्षिण अफ्रीका से अक्षय मानसिंह, प्रोफेसर ब्रिज महाराज, कीरु नायडू, कथन पिल्लई, नीदरलैंड से प्रोफ़ेसर मोहन के गौतम, इजिप्ट से प्रोफेसर वला जमाल, श्रीलंका से सुमेध थेरो, सिंगापुर से गौरी गुप्ता ने अपनी सहभागिता प्रस्तुत की ।

संगोष्ठी का आयोजन प्रो. बिंदा डी परांजपे, संकाय प्रमुख, सामाजिक विज्ञान संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा डॉ. पंकज सिंह, सहायक आचार्य, समाजशास्त्र विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुशल नेतृत्व में हुआ। धन्यवाद ज्ञापन संगोष्ठी के संयोजक डॉ. पंकज सिंह ने किया। इस तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में काशी हिंदू विश्वविद्यालय एवं सम्बन्धित कालेजों के वरिष्ठ अध्यापकों के साथ-साथ विद्यार्थियों की उपस्थिति बड़े स्तर पर रही।

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