स्थाई राजनीति के लिए संस्थाओं का मजबूत होना जरूरी: अजय सिंह
वाराणसी। रविवार 10 दिसंबर को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सरदार बल्लभ भाई पटेल छात्रावास के वाग्देवी सभागार में विद्वत विमर्श श्रृंखला के उद्घाटन समारोह के दौरान व्याख्यान का आयोजन किया गया। इस दौरान मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं महामहिम राष्ट्रपति, भारत के प्रेस सचिव अजय सिंह उपस्थित रहें।
अपने व्यक्तव्य में उन्होंने कहा कि "भारतीय लोकतंत्र में किसी भी पार्टी के लिए संस्थागत आधार ही उसकी संजीवनी है, जो पार्टियों की स्थाई राजनैतिक आधारशिला तैयार करती है। दरअसल लोकतंत्र में जनाकांक्षाओं की प्रबल पक्षधरता होती है और यही मूलाधार किसी भी राजनैतिक पार्टी का जमीनी जनाधार पैदा करता है। जनशुचिता की वैचारिक निर्मित व रक्षण का कार्य लोकतंत्र में संस्थाएं ही कर पाती हैं।"
छात्रावास द्वारा विद्वत विमर्श (लेखकों के साथ संवाद) नाम की एक महत्त्वपूर्ण श्रृंखला की शुरुआत की गई है। इसके अंतर्गत देश विदेश के तमाम लेखकों के साथ उनकी महत्त्वपूर्ण पुस्तकों पर समसामयिक संदर्भ में प्रत्येक शनिवार को एक परिचर्चा आयोजित की जाएगी। लोकतंत्र में पार्टी-निर्माण और उसका महत्व विषय पर बात करते हुए अजय सिंह ने अपनी पुस्तक द आर्किटेक ऑफ द न्यू बीजेपी की चर्चा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति कौशल और भारतीय जनता पार्टी के साथ विभिन्न राजनैतिक पार्टियों की संस्थानिक कार्यप्रणाली और उसकी संस्थागत दृष्टि को रेखांकित किया। इस दौरान उन्होंने आजादी से आज तक की विभिन्न पार्टियों की कार्यप्रणाली और वैचारिकी पर चर्चा करते हुए एक तुलनात्मक व्याख्या की। उपस्थित श्रोताओं एवं छात्रों ने व्याख्या से उपजे सवालों और जिज्ञासाओं के जरिए विमर्श को काफी जीवंत बनाए रखा।
इस अवसर पर कार्यक्रम के बतौर मुख्य अतिथि प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ ने कहा कि कोई भी पार्टी बिना संस्था को खाद पानी दिए लंबे समय तक जीवित नहीं रह सकती। धरातल पर उसे मजबूत बनाने के लिए संस्थाए ही धुरी का कार्य करती है। लोकतंत्र को व्याख्यायित करते हुए भारतीय संस्कृति, समाज और राजनीति के अंतर्संबंधों पर उन्होंने बहुत गहरा प्रकाश डाला। वे राजनीति में कौशल और मुद्दों की प्राथमिकता पर जोर देते हुए युवा सहभागिता की राजनैतिक दृष्टि पर अपनी बात रखते हुए लोकतंत्र की सार्थकता और सबलता को राष्ट्र हित के परिप्रेक्ष्य में रेखांकित कर रहे थे।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए छात्रावास के प्रशासनिक संरक्षक डॉ. धीरेंद्र राय ने कहा कि लोकतंत्र को संस्थाओं से बल मिलता है और मानवीय स्वभाव संस्थाओं में जीवनरस पैदा करता है। कार्यक्रम की रूप रेखा स्पष्ट करते हुए विश्वविद्यालय के संयुक्त कुलसचिव व काशी मंथन के संयोजक डॉ. मयंक नारायण सिंह ने अजय सिंह की पुस्तक पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनैतिक दूरदर्शिता को समझने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। खासकर कई शेड्स और फ्रेम में लिखी गई यह पुस्तक वर्तमान भारतीय राजनीति का एक मुकम्मल दस्तावेज है जिसके जरिए हम एक लंबी राजनैतिक यात्रा के सहयात्री बन सकते हैं। अपने दौर के राजनैतिक इतिहास को समेटे इस पुस्तक को लेखक ने बहुत रुचिकर ढंग से लिखा है, जैसे कोई रिपोर्ताज पन्ने पर उकेरा गया है।"
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन करते हुए छात्रावास के संरक्षक डॉ. शैलेंद्र कुमार सिंह ने छात्रावास की आगामी अकादमिक व संस्थानिक योजनाओं पर प्रकाश डाला। इस मौके पर विश्वविद्यालय के अध्यापक, शोधार्थी, छात्र छात्राएं, अधिकारी व कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
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