वाराणसी में 5353 टीबी मरीजों को 2240 निक्षय मित्रों ने लिया गोद, मरीजों में बंटी पोषण पोटली

वाराणसी। प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के अंतर्गत जिले के सभी 207 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर, प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, जिला व मंडलीय चिकित्सालय में एकीकृत निक्षय दिवस मनाया गया। इस दौरान क्षय रोग की जांच, परामर्श आदि जनजागरूकता गतिविधियों के साथ ही कुष्ठ, फाइलेरिया व कालाजार उन्मूलन पर भी ज़ोर दिया गया। स्वास्थ्य केन्द्रों पर विभिन्न अधिकारियों ने गोद लिए टीबी मरीजों को पोषण पोटली प्रदान की। उनके पोषण व स्वास्थ्य उपचार के बारे में जानकारी ली। जिले में 5353 टीबी मरीजों को 2240 निक्षय मित्रों ने गोद लिया है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संदीप चौधरी ने बताया कि सामुदायिक स्तर पर जनमानस को टीबी संबंधी जांच, निदान, उपचार व परामर्श के साथ पोषण की मदद मिल सके, इसके लिए विभाग निरंतर प्रयास कर रहा है। हर माह की 15 तारीख को स्वास्थ्य केन्द्रों पर एकीकृत निक्षय दिवस मनाते हुए टीबी जांच व उपचार की सुविधाएं दी जा रही हैं। गोद लिए गए सभी टीबी रोगियों को हर माह पोषण पोटली व नियमित दवा मिल रही है। पोषण पोटली में भूना चना, गुड़, मूंगफली, चिक्की, सत्तू और अन्य पोषक सामग्री शामिल है। पोषण पोटली की सामग्री का उपयोग सिर्फ क्षय रोगी ही करे, इसके लिए विभागीय कर्मचारी फॉलो-अप कर रहे हैं। सीएमओ ने बताया कि वर्तमान में जनपद में 5880 सक्रिय क्षय रोगी हैं, जिनका उपचार चल रहा है। इसमें से 5353 क्षय रोगियों ने गोद लेने की सहमति दी है, जिन्हें 2240 निक्षय मित्रों ने गोद लिया है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ पीयूष राय ने बताया कि एकीकृत निक्षय दिवस पर करीब 2601 लोगों की ओपीडी हुई, इसमें 245 लोगों में टीबी के संभावित लक्षण पाए गए। स्क्रीनिंग के बाद 172 लोगों के बलगम एकत्रित किए गए। इसमें अभी तक 109 लोगों की जांच हुई और दो मरीज पॉज़िटिव पाए गए, उन्हें तुरंत उपचार पर रखा गया है। बताया कि पिछले एक माह में टीबी मरीजों को करीब 2119 पोषण पोटली वितरित की जा चुकी हैं। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर अक्टूबर 2022 से अब तक 1818 पोषण पोटली और 70 पोषण पोटली टीबी मरीजों के घर पर प्रदान की जा चुकी हैं।
जिला पीपीएम समन्वयक नमन गुप्ता ने बताया कि निक्षय दिवस पर चिकित्साधिकारी डा. अतुल सिंह ने गोद लिए 21 टीबी मरीजों को चौकाघाट सीएचसी पर पोषण पोटली प्रदान की। उनके पोषण और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली। इसी क्रम में एलबीएस चिकित्सालय रामनगर के सीएमएस डा. एसी दुबे, डीडीयू चिकित्सालय में डा. पीके सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरविंद पाठक, जिला आपूर्ति अधिकारी उमेश चंद्र मिश्रा, जिला खनन अधिकारी राघवेंद्र सिंह, सीएचसी अराजीलाइन के अधीक्षक डा. नवीन सिंह, खाद्य सुरक्षा अधिकारी संजय सिंह सहित अन्य अधिकारियों ने गोद लिए टीबी मरीजों को पोषण पोटली प्रदान की। जिला कार्यक्रम समन्वयक संजय चौधरी ने बताया कि यदि टीबी की पहचान शुरुआती दिनों में हो जाए तो मरीज छह माह के सम्पूर्ण उपचार से ठीक हो जाता है। टीबी का इलाज अधूरा छोड़ने पर यह गंभीर रूप लेकर मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट (एमडीआर) टीबी के रूप में सामने आता है। टीबी के मरीज ड्रग रेजिस्टेंट न हों इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और जिला टीबी नियंत्रण इकाई मरीजों का नियमित फॉलोअप कर रही है। टीबी मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत उपचार के दौरान प्रतिमाह 500 रुपये पोषण भत्ते के रूप में सीधे मरीज के खाते में भेजे जाते हैं।
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