IIT BHU में औषध विज्ञान की अद्यतन प्रौद्योगिकी विषय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (का.हि.वि.), वाराणसी में शनिवार को एकदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन एनी बेसेंट व्याख्यान कक्ष संकुल (एबीएलटी-04) में आयोजित किया गया। उक्त संगोष्ठी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आलोक में 'औषध विज्ञान की अद्यतन प्रौद्योगिकी: वर्तमान और भविष्य' विषय पर आधारित हिन्दी में आयोजित हुई। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. संजय सिंह, कुलपति, डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ, विशिष्ट अतिथि के रूप में आचार्य नरेंद्र कुमार जैन, पूर्व विभागाध्यक्ष, औषध विज्ञान विभाग, डॉ. एच एस गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश, कार्यक्रम अध्यक्ष के रूप में संस्थान के निदेशक आचार्य प्रमोद कुमार जैन, भैषजकीय अभियांत्रिकी विभाग की विभागाध्यक्ष, डॉ. एस. हेमलता, कोषाध्यक्ष डॉ. श्रेयांश कुमार जैन तथा आयोजन सचिव आचार्य सुशांत कुमार श्रीवास्तव उपस्थित थे।
कार्यक्रम का शुभारंभ पंडित महामना मालवीय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन करके हुआ। सभी गणमान्य मंचासीन अतिथियों को पुष्प गुच्छ एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत किया गया। इस संगोष्ठी में संस्थान के अधिष्ठाता (आर एंड डी) आचार्य विकास कुमार दुबे, अधिष्ठाता (छात्र कल्याण) आचार्य लाल प्रताप सिंह, अध्यापकगण, शोध विद्यार्थी और देश के कोने-कोने से विभिन्न संस्थानों के आए छात्र व अध्यापक सम्मिलित हुए हैं ।
उद्घाटन में आचार्य नरेंद्र कुमार जैन ने बताया कि देश में भैषजकीय अभियांत्रिकी का शायद यह पहला राष्ट्रीय संगोष्ठी हिन्दी में आयोजित हो रहा है। जिस प्रकार मध्य प्रदेश में डॉक्टर दवाओं का विवरण मरीजों को हिन्दी में लिखकर दे रहे हैं, उसी प्रकार औषध विज्ञान के क्षेत्र में यह हिन्दी में प्रथम प्रयास सराहनीय है । डॉ. भीम राव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के कुलपति डॉ. संजय सिंह ने कहा कि मैं अपना कोई भी उदबोधन हिन्दी में ही देने का प्रयास करता हूं । हमलोग औषध विकास के क्षेत्र में लगातार काम कर रहे हैं और स्वस्थ्य जीवन और मोटे अनाज के प्रयोग के बारे में आयोजित सत्र से सभी लोग लाभान्वित होंगे । सम्पूर्ण विश्व के स्वास्थ्य को सुदृढ़ करने में एक फार्मेसी के विशेषज्ञ की बहुत बड़ी भूमिका होती है। यदि उसे मैं स्वास्थ्य के प्रति सजगता की रीढ़ कहूं तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह बात आई.आई.टी. (बी.एच.यू.) के निदेशक आचार्य प्रमोद कुमार जैन ने राष्ट्रीय संगोष्ठी 'औषध विज्ञान की अद्यतन प्रौद्योगिकी: वर्तमान और भविष्य' में कही।
उक्त राष्ट्रीय संगोष्ठी में कई सत्र एवं आठ वक्ताओं के व्याख्यान शामिल है, जिसमें डॉ. अशोक ओमरे, फार्मास्युटिकल उद्योग और शिक्षा, प्रो. बी.एन.सिन्हा, बिड़ला प्रौद्योगिकी संस्थान, प्रो. बी. मिश्रा, आई.आई.टी.(बी.एच.यू.), आचार्य नरेंद्र कुमार जैन, डॉ. एच एस गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, सागर, मध्य प्रदेश, डॉ. मोहन जी. सक्सेना, प्रबंध निदेशक, आयुर्वेद लिमिटेड, डॉ. विनय गुप्ता, सहायक औषधि नियंत्रक, प्रो. कमल नयन द्विवेदी, अधिष्ठाता, आयुर्वेद संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो. पुष्पेंद्र कुमार त्रिपाठी, लखनऊ विश्वविद्यालय अपना अपना व्याख्यान हिन्दी में प्रस्तुत किया । भारत के विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए लगभग 400 प्रतिभागियों ने राजभाषा हिन्दी में आयोजित संगोष्ठी के समस्त छः सत्रों में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसमें विभिन्न औषध विज्ञान,अच्छी व खराब दवाएं, मोटा अनाज-एक स्वास्थ्य वर्धक औषधि, वेदों में विज्ञान, जैविक औषधियों का विकास और औषधि नैनोटेक्नोलाजी विषय पर वक्ताओं ने विमर्श किया।
हमारे टेलीग्राम ग्रुप को ज्वाइन करने के लिये यहां क्लिक करें, साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर और वाराणसी से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप डाउनलोड करने के लिये यहां क्लिक करें।