आईसीएआर की टीम ने बीएचयू का किया भ्रमण, चावल अनुसंधान की प्रणाली व गुणवत्ता देखी
वाराणसी। देश-विदेश में चावल अनुसंधान में अग्रणी बीएचयू (बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी) ने अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की तीन सदस्यीय कमेटी ने बीएचयू के चावल अनुसंधान प्रक्षेत्र का वार्षिक निरीक्षण किया। टीम में शामिल प्रधान वैज्ञानिक डॉ. सुशांता कुमार दास, सदस्य डॉ. रघु एस. तथा डॉ. राघवेंद्र गौड़ ने बीएचयू में चल रहे अनुसंधान की प्रक्रिया देखी। इसके बाबत विस्तार से जानकारी ली। अनुसंधान मानकों के अनुरूप पाया गया।
प्रोफेसर श्रवण कुमार सिंह, विभागाध्यक्ष (जेनेटिक्स एवं प्लांट ब्रीडिंग) के निर्देशन में बीएचयू का यह चावल अनुसंधान कार्यक्रम उच्च गुणवत्ता की किस्मों के विकास में सक्रिय है। कमेटी ने अनुसंधान प्रक्षेत्र का गहन भ्रमण करते हुए बीएचयू के चावल अनुसंधान कार्यों को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप पाया। बीएचयू विभिन्न किस्मों पर शोध कार्य कर रहा है, जिनमें बायोफोर्टिफाइड चावल (हाई जिंक, हाई आयरन, हाई प्रोटीन), रंगीन चावल (एंटीऑक्सीडेंट गुणों से युक्त), पतले दानों वाली सुगंधित किस्में, सूखा रोधी किस्में, संकर चावल, और डायरेक्ट सीडेड राइस (डीएसआर) शामिल हैं।
अब तक बीएचयू 13 उच्च उत्पादकता वाली चावल की किस्में जारी कर चुका है, जिन्हें किसानों तक पहुंचाया गया है। इनमें हाल की नई किस्में 'मालवीय मनीला सिंचित धान-1', 'मालवीय सुगंध धान 156' और 'मालवीय धान 97' प्रमुख हैं। बीएचयू ने इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (ईरी), फिलीपींस के सहयोग से 'मालवीय मनीला सिंचित धान-1' को जारी किया है। यह किस्म अब भारतीय किसानों के खेतों में उत्पादकता बढ़ाने के साथ ही उनकी आय में वृद्धि लाने के लिए तैयार है। बीएचयू का यह अनुसंधान प्रयास राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चावल की गुणवत्ता बढ़ाने और विविध किस्मों के विकास की दिशा में एक प्रभावी कदम साबित हो रहा है, जो भविष्य में कृषि क्षेत्र में सुधार हेतु अत्यधिक महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है।
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