बीएचयू में दिव्यांग छात्रों पर लाठीचार्ज मामले का मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान, जांच शुरू

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में दिव्यांग छात्रों पर हुए लाठीचार्ज की घटना का राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है। इस साल फरवरी में हुई इस घटना पर अब आयोग ने मामला दर्ज कर लिया है। यह घटना तब हुई थी जब कुलपति आवास के पास हुई तोड़फोड़ और हॉस्टलों में छात्रों पर पुलिस द्वारा की गई लाठीचार्ज में कुछ दिव्यांग छात्र घायल हो गए थे। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र यादव द्वारा की गई शिकायत पर आयोग ने यह कार्रवाई शुरू की है। 

घटना 17 फरवरी की है, जब बीएचयू के डालमिया हॉस्टल के पास एक कार से साइकिल सवार का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें साइकिल सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस दुर्घटना से आक्रोशित छात्रों ने परिसर में इकट्ठा होकर कार चालक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके बाद, छात्रों ने विश्वविद्यालय के मुख्य सिंह द्वार पर धरना शुरू कर दिया। इसी दौरान कुछ शरारती तत्वों और छात्रों ने कुलपति आवास पर पथराव कर दिया, जिससे कुलपति की गाड़ी और परिसर में लगे कई गमले टूट गए। 

पथराव की घटना के बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज शुरू कर दिया। इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने यह ध्यान नहीं रखा कि किसने तोड़फोड़ की और कौन निर्दोष या दिव्यांग छात्र थे। शिकायत के अनुसार, बिना किसी पहचान या जांच के छात्रों पर एकतरफा कार्रवाई की गई, जिसमें कई दिव्यांग छात्र भी घायल हो गए। 

शिकायतकर्ता अधिवक्ता डॉ. गजेंद्र यादव ने कहा कि पुलिस ने न केवल धरना स्थल पर मौजूद छात्रों पर लाठियां चलाईं, बल्कि सिंह द्वार से गुजरने वाले उन छात्रों पर भी हमला किया, जो इस घटना से पूरी तरह अनभिज्ञ थे। आरोप यह भी है कि कई सुरक्षाकर्मी हॉस्टलों में घुस गए और वहां छात्रों पर लाठियां बरसाईं। खासकर बिरला छात्रावास में कुछ सुरक्षाकर्मियों ने छात्रों को गाली-गलौज भी की, और कई दिव्यांग छात्रों को, जिनमें से कुछ दृष्टिहीन थे और कुछ शारीरिक रूप से चलने-फिरने में अक्षम थे, गंभीर रूप से चोट पहुंचाई गई। 

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