काशी में सीपीआर प्रशिक्षण का ऐतिहासिक आयोजन, डॉ. शिवशक्ति द्विवेदी ने दिया जीवन रक्षा का संदेश

WhatsApp Channel Join Now

वाराणसी। काशी की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरती पर शनिवार को जीवन रक्षा से जुड़ा महत्वपूर्ण संदेश गूंज उठा, जब बीएचयू के ओंकारनाथ ठाकुर ऑडिटोरियम में कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) पर लाइव प्रस्तुति एवं प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में प्रतिभागियों ने शामिल होकर जीवनरक्षक तकनीक का व्यावहारिक ज्ञान प्राप्त किया।

सीपीआर प्रशिक्षण का संचालन और लाइव डेमोंस्ट्रेशन प्रसिद्ध चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी द्वारा किया गया। उन्होंने अत्यंत सरल, सहज और व्यवहारिक शैली में यह समझाया कि हृदयगति रुकने की स्थिति में साधारण व्यक्ति भी समय रहते सही तकनीक अपनाकर किसी की जान बचा सकता है।

कार्यक्रम में बीएचयू के रजिस्ट्रार एवं कार्यक्रम समन्वयक डॉ. नीरज त्रिपाठी, नोडल अधिकारी अंचल श्रीवास्तव, आनंद श्रीवास्तव, तमिल डेलीगेट्स, लेखक, मीडिया प्रतिनिधि और विभिन्न क्षेत्रों के विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

सीपीआर: हर नागरिक के लिए जीवनरक्षक कौशल

डॉ. द्विवेदी ने बताया कि सीपीआर एक आपातकालीन प्रक्रिया है, जिसे तब अपनाया जाता है जब किसी व्यक्ति की हृदय गति या सांस अचानक बंद हो जाए। छाती के मध्य भाग पर निरंतर और नियंत्रित दबाव देकर हृदय की पम्पिंग क्रिया की कृत्रिम नकल की जाती है, जिससे रक्त मस्तिष्क और अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों तक पहुंचता रहता है और व्यक्ति के जीवित बचने की संभावना बढ़ जाती है।

उन्होंने कहा— “हृदय गति रुकने के बाद शुरुआती तीन से पाँच मिनट जीवन के लिए सबसे निर्णायक होते हैं। यदि इस दौरान सही तकनीक से सीपीआर दिया जाए, तो कई जीवन बचाए जा सकते हैं।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीपीआर सिर्फ डॉक्टरों या मेडिकल स्टाफ के लिए ही नहीं, बल्कि हर आम नागरिक के लिए आवश्यक ज्ञान है। समय पर दी गई सही प्रतिक्रिया कई बार जीवन और मृत्यु के बीच की दूरी को कम कर देती है।

प्रतिभागियों को इस पर हुआ प्रशिक्षण

सत्र में शामिल प्रतिभागियों को विस्तार से यह सिखाया गया—

  • ✔ सीपीआर की सही तकनीक

  • ✔ दबाव की गति, गहराई और निरंतरता

  • ✔ आपात स्थिति में धैर्य और त्वरित निर्णय

  • ✔ वास्तविक परिस्थिति में सीपीआर का व्यावहारिक अभ्यास

ऑडिटोरियम में मौजूद विभिन्न राज्यों से आए प्रतिनिधियों, तमिल डेलीगेट्स और मीडिया कर्मियों ने खुद मंच पर आकर लाइव प्रैक्टिकल किया और सीपीआर के प्रत्येक चरण को व्यक्तिगत अनुभव के रूप में समझा। कई प्रतिभागियों ने इसे "काशी तमिल संगमम् का यादगार और प्रेरणादायक क्षण" बताया।

काशी तमिल संगमम्: संस्कृति के साथ जागरूकता का संदेश

कार्यक्रम में यह भी कहा गया कि काशी तमिल संगमम् केवल सांस्कृतिक आदान–प्रदान का उत्सव नहीं, बल्कि जीवन, जागरूकता और संवेदनशीलता को बढ़ावा देने वाला मंच भी बन रहा है। इस पहल से प्रेरित होकर राष्ट्रीय स्तर पर सीपीआर प्रशिक्षण को और गति मिलने की उम्मीद जताई गई।

कार्यक्रम का समापन जीवन रक्षा के संकल्प और आम नागरिकों में जागरूकता बढ़ाने के संदेश के साथ हुआ।

Share this story