वाराणसी में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस और यूनिफॉर्म सिंडिकेट पर उठे सवाल, हिन्दू युवा वाहिनी ने छेड़ा विरोध अभियान

उन्होंने कहा कि स्कूलों द्वारा किताबें और यूनिफॉर्म खरीदने के लिए विशेष दुकानों पर अभिभावकों को विवश किया जा रहा है। साथ ही हर छह महीने में यूनिफॉर्म बदलने का नियम बनाकर अभिभावकों को बेवजह खर्च के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके अलावा, किताबों को भी इस तरह तैयार किया जाता है कि अगले साल वे किसी काम की नहीं रह जातीं, जिससे हर साल पूरा सेट दोबारा खरीदना पड़ता है।
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अभिषेक श्रीवास्तव ने कहा कि यह पूरी तरह एक संगठित सिंडिकेट की तरह काम कर रहा है, जिसका पर्दाफाश होना बेहद जरूरी है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि एक निजी स्कूल "O Grove पब्लिक स्कूल" के प्रबंधक पर गंभीर आरोप हैं और उन्होंने जेल भी काटी है, फिर भी स्कूल बिना किसी स्पष्ट मानक के संचालित किया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इस चार मंजिला इमारत वाले स्कूल में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था है? उनकी स्कूल वैनें भी जर्जर अवस्था में हैं, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन सकती हैं।
उन्होंने आगे कहा कि मध्यम वर्गीय परिवार जो 15-20 हजार रुपए महीने कमाते हैं, वे कैसे अपने बच्चों की 8000-10000 रुपए मासिक फीस भर सकते हैं? पिछली कक्षाओं में जहां फीस 4000 थी, वही अब दोगुनी या उससे भी ज्यादा कर दी गई है।
इस मुद्दे को गंभीरता से उठाते हुए हिन्दू युवा वाहिनी ने एक व्यापक स्तर पर अभियान शुरू करने की घोषणा की है। संगठन का दावा है कि वह इस मुहिम को जिला और प्रदेश स्तर तक लेकर जाएगा। इस अभियान में अभिषेक गोलू श्रीवास्तव के साथ अखिल भारत हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य श्रीकांत पांडे, अभी प्रताप पाल समेत सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल रहे।