हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त के आदेश को किया रद्द, नदेसर तालाब से जुड़ा है मामला
वाराणसी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नगर आयुक्त वाराणसी के 20 मई 2024 को नदेसर तालाब की सफाई और घेराबंदी से जुड़ी संविदा को निरस्त करने के आदेश को अवैध करार देते हुए उसे रद्द कर दिया है। न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने मेसर्स कमल नारायण सिंह की याचिका स्वीकार करते हुए यह फैसला सुनाया। याचिका में नगर आयुक्त द्वारा संविदा को बिना उचित प्रक्रिया अपनाए निरस्त करने को चुनौती दी गई थी।
नदेसर तालाब को लेकर 28 मई 2022 को स्मार्ट सिटी योजना के तहत मेसर्स कमल नारायण सिंह और वाराणसी स्मार्ट सिटी के बीच तीन साल के लिए संविदा हुई थी, जिसमें फर्म को तालाब की सफाई और घेराबंदी का ठेका दिया गया था। हालांकि, 20 मई 2024 को नगर आयुक्त ने इस संविदा को बिना पूर्व सूचना या कानूनी प्रक्रिया का पालन किए ही निरस्त कर दिया था।
फर्म ने संविदा निरस्तीकरण को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और अपने अधिवक्ता के माध्यम से तर्क दिया कि संविदा निरस्त करने से पहले उन्हें नोटिस नहीं दी गई, जो संविदा प्रक्रिया का उल्लंघन है। अदालत ने इस दलील को सही मानते हुए नगर आयुक्त के आदेश को अवैध ठहराया और रद्द कर दिया।
हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा कि नगर आयुक्त, यदि चाहें तो नियमानुसार नए सिरे से इस मामले पर विचार कर सकते हैं। अदालत के इस निर्णय से फर्म को राहत मिली है और संविदा निरस्तीकरण की प्रक्रिया को अवैध करार दिया गया है।
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