ज्ञानवापी: 1991 से लंबित स्वयंभू आदि विश्वेश्वर मामले में सुनवाई, पक्षकार बनने की अर्जी पर बहस जारी

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वाराणसी। सिविल जज सीनियर डिविजन (फास्ट ट्रैक) युगल शंभू की अदालत में मंगलवार को 1991 से लंबित स्वयंभू आदि विश्वेश्वर विवाद में सुनवाई हुई। यह मामला पूजा-अर्चना और अधिकारों से संबंधित एक लंबे समय से विवादित विषय है।

पक्षकार बनने की अर्जी पर बहस

वादी रहे मृतक सोमनाथ व्यास के भतीजे योगेंद्र नाथ व्यास ने मामले में पक्षकार बनने के लिए अर्जी दाखिल की थी। उन्होंने अपने दावे में कहा कि विवादित परिसर में देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना का अधिकार व्यास परिवार के वंशजों को मिलता आया है। यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है, और उनके चाचा सोमनाथ व्यास इस मामले में पहले वादी थे। उनके निधन के बाद, उन्हें पक्षकार बनने का स्वाभाविक अधिकार है।

अगली सुनवाई 28 नवंबर को

कोर्ट में योगेंद्र नाथ व्यास की ओर से अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा गया कि व्यास परिवार के दर्शन और पूजा-पाठ के अधिकार ऐतिहासिक रूप से स्थापित हैं। कोर्ट ने इस बहस को जारी रखते हुए सुनवाई की अगली तारीख 28 नवंबर तय की।

क्या है मामला

यह विवाद 1991 से लंबित है और इसमें पूजा-अर्चना के अधिकारों को लेकर व्यास परिवार का दावा प्रमुख मुद्दा है। अदालत में अब यह तय होना है कि योगेंद्र नाथ व्यास को पक्षकार बनाया जाए या नहीं। अगली सुनवाई पर बहस के आधार पर इस ऐतिहासिक मामले में आगे की प्रक्रिया तय होगी।

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