हीटवेव का बढ़ता संकट: बनारस में कला, संस्कृति और संवाद से खोजे गए समाधान
वाराणसी। जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न भीषण गर्मी की समस्या पर ध्यान आकर्षित करने और हाशिये पर रहने वाले समुदायों की सुरक्षा के उपाय सुझाने के उद्देश्य से क्लाइमेट एजेंडा संस्था के अंतर्गत संचालित ‘बुनियाद’ अभियान के तहत दुर्गाकुंड स्थित आनंद पार्क में एक रचनात्मक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें बनारस में बढ़ती गर्मी और इससे सर्वाधिक प्रभावित श्रमिक वर्ग के बारे में चर्चा की गई।

कार्यक्रम का विषय “हीटवेव अलर्ट – सुरक्षित श्रम की संभावनाएं” रखा गया था, जिसके अंतर्गत चार रचनात्मक कॉर्नर आर्ट कॉर्नर, विशेषज्ञ परिचर्चा, संभावित कूलिंग रूम की प्रदर्शनी और पॉलिसी संवाद स्थापित किए गए। इस कार्यक्रम का उद्देश्य था बढ़ती गर्मी से सबसे अधिक प्रभावित दिहाड़ी मजदूरों, घरेलू कामगार महिलाओं, रिक्शा चालकों, सफाईकर्मियों और अन्य कमजोर वर्गों के लिए ठोस नीतिगत और व्यवहारिक समाधान प्रस्तुत करना।
क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने बताया कि जलवायु परिवर्तन के कारण हीटवेव का संकट दिन-ब-दिन गंभीर होता जा रहा है और इसका असर सबसे अधिक हाशिये पर रहने वाली आबादी पर पड़ रहा है। उन्होंने लांसेट और वर्ल्ड बैंक की रिपोर्टों का हवाला देते हुए बताया कि भारत को 2023 में गर्मी से 141 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ, और 2030 तक लगभग 34 मिलियन नौकरियों पर हीट स्ट्रेस का खतरा मंडरा रहा है।
उन्होंने ज़ोर दिया कि ऐसे संकट के समाधान के लिए हरित क्षेत्र को बढ़ाना, स्थायी और अस्थायी कूलिंग रूम की व्यवस्था, मौसम की चेतावनियों का प्रसार और ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देना आवश्यक है। स्वास्थ्य विभाग से आए डॉक्टर शिशिर ने बताया कि वाराणसी का हीट वेव एक्शन प्लान हाल ही में तैयार हुआ है, जिसमें स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के उपाय शामिल हैं। उन्होंने जागरूकता अभियान की जरूरत को रेखांकित किया।
बीएचयू के प्रोफेसर सुरेश नायर ने फाइन आर्ट्स के छात्रों को कला के माध्यम से जलवायु चेतना फैलाने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम में जागृति राही, महाजन अली, मुकेश श्रीवास्तव जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ 300 से अधिक नागरिक शामिल हुए, जिनमें विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थी, घरेलू कामगार, ईंट भट्ठा मजदूर और रेहड़ी-पटरी दुकानदार शामिल थे।

