गायन, वादन और नृत्य की त्रिवेणी से झंकृत हुआ देवी दरबार, मां कूष्मांडा ने पीतांबरी स्वरूप में भक्तों को दिया दर्शन 

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वाराणसी। दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर में श्रृंगार और संगीत समारोह की छठवीं निशा में गुरुवार की रात गायन, वादन और नृत्य की त्रिवेणी से मंदिर प्रांगण झंकृत हो उठा। 'राम आएंगे तो अंगना सजाऊंगी' भजन से दुनिया भर में विख्यात हो चुकी गायिका स्वाति मिश्रा ने मंच संभाला तो भक्तों ने हर हर महादेव के उदघोष से उनका स्वागत किया। स्वाति मिश्रा ने भी एक से बढ़कर भजन प्रस्तुत कर मां के श्रीचरणों में अपनी स्वरांजलि अर्पित की। माता ने पीतांबरी स्वरूप में भक्तों को दर्शन दिया। 

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छठी निशा का शुभारंभ काशी के ट्यून विथ रिदम समूह के वाद्यवृंद की प्रस्तुति की रही। समूह ने सबसे पहले राग मधुमती में धुन सुनाई, उसके बाद हरे रामा हरे कृष्णा की मनभावन प्रस्तुति दी। अंत में मैं ना लिहो प्रभु तेरी उतराई' से समापन किया। समूह में पखावज पर आदित्य दीप, तबला पर सिद्धांत मिश्रा, बांसुरी पर अभिषेक मधुरम, सारंगी पर अनीष मिश्रा, मोहनवीणा पर राघवेंद्र कुमार नारायण, कैजोन पर विशाल गुप्ता रहे। दूसरी प्रस्तुति भगीरथ जालान के उप शास्त्रीय गायन की रही। उन्होंने सबसे पहले 'जय जय जगदम्बे भवानी', फिर तराना तत्पश्चात जय जगनी भवानी', 'बरसन लागी बदरिया झूम झूम के' प्रस्तुत किया। उनके साथ तबला पर पण्डित ललित कुमार, संवादिनी पर उज्ज्वल साहनी रहे।

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तीसरी प्रस्तुति वाराणसी के डॉ. राजेश गौतम के बांसुरी वादन की रही। उन्होंने सबसे पहले राग यमन में अलाप फिर तीन ताल की बन्दिश प्रस्तुत किया। उसके बाद कजरी 'मैया कब देबू दर्शनवा', 'पिया मेहंदी लिया द मोती झील से' की मंत्रमुग्ध कर देने वाली धुन सुनाई। उसके बाद अंत में झूला 'झूला धीरे से झुलाओं बनवारी' से समापन किया। उनके साथ तबले पर पंकज राय एवं तानपुरे पर पुर्वांश प्रकाश गौतम ने साथ दिया। चौथी प्रस्तुति पण्डित माता प्रसाद, पण्डित रविशंकर एवं डॉ. ममता टण्डन के कथक नृत्य की रही। उन्होंने सबसे पहले देवी वंदना से शक्ति की आराधना की, तत्पश्चात शिव वंदना 'नागेंद्र हाराय' से शिव का स्मरण किया। उसके बाद पारम्परिक कथक तीन ताल में उपज, परन, तिहाई के साथ जुगलबंदी की प्रस्तुति दी। इसके बाद घोड़े की चाल और अंत में जय -जय भवानी दुर्गे रानी पर कथक प्रस्तुत कर समापन किया। उनके साथ तबले पर भोलानाथ मिश्रा, प्रीतम मिश्रा, गायन पर गौरव मिश्रा, सारंगी पर अंकित मिश्रा एवं बोल पढ़न्त पर कंचन मिश्र रहे। 

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पांचवीं प्रस्तुति बनारस की डॉ. संगीता पण्डित के गायन की रही। उन्होंने श्लोक से आरम्भ कर दो देवी स्तुति प्रस्तुत किया। शास्त्रीय बंदिशों के बाद सादरा 'भवानी दयानि', प्रस्तुत किया। अंत मे झूला एवं कजरी गीत भी प्रस्तुत किया। उनके साथ तबले पर पंकज राय, अभिनव नारायण आचार्य, हारमोनियम पर डॉ. मनोहर कृष्ण श्रीवास्तव, बाँसुरी पर शानीष ज्ञावली, गायन सहयोग में निवेदिता श्याम एवं अलका कुमारी रही। कार्यक्रम का संयोजन एवं कलाकारों का स्वागत विकास दुबे ने किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से महंत राजनाथ दुबे, चंदन दुबे, किशन दुबे आदि उपस्थित रहे। संचालन ललिता शर्मा ने किया।

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छठें दिन मां कूष्माण्डा का पीताम्बरी स्वरूप में श्रृंगार 
श्रृंगार महोत्सव के छठवें दिन मां कूष्माण्डा दुर्गा के पीताम्बरी स्वरूप का दर्शन हुआ। सायंकाल 4 बजे मां का पट बंद कर उनका पंचामृत स्नान कराया गया, उसके बाद पियरी पहनाकर बनारसी गेंदे से मां को सजाया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से आठ अलग अलग स्वर्णहारों से मां को सुसज्जित किया गया। रात्रि 8 बजे मां की विराट आरती उतारी गई। भोग में मां को हलवे, बूंदिया और मालपुए चढ़ाया गया। आरती पण्डित संजय दुबे ने एवं श्रृंगार सहयोग चंचल दुबे ने किया। मां कूष्माण्डा दुर्गा मंदिर श्रृंगार एवं संगीत महोत्सव के सातवें दिन यानी शुक्रवार की मध्यान्ह 12 बजे से मंदिर में अखण्ड भंडारे का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम संयोजक विकास दुबे ने बताया कि अखण्ड भण्डारे में हजारों की संख्या में भक्त प्रसाद ग्रहण करेंगे। मंदिर मे कन्या पूजन भी किया जाएगा।

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