‘मात्र एक महिला प्रोफेसर के कहने पर बंद किया गया गंगा शोध केन्द्र’ गंगा मित्रों का आरोप, सेंट्रल ऑफिस के बाहर जमकर प्रदर्शन

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वाराणसी। गंगामित्रों की एक बड़ी टीम गंगा शोध केंद्र पुन: खोलने की मांग को लेकर बीएचयू के सेंट्रल ऑफिस पहुंची। जहां विश्वविद्यालय के सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें कार्यालय में प्रवेश करने से रोक दिया, जिसके बाद गंगामित्रों ने बाहर ही अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। 

कड़ी मशक्कत के बाद, बीएचयू प्रशासन ने केवल 5 गंगामित्रों को कुलसचिव से मिलने की अनुमति दी। रजिस्ट्रार प्रोफेसर अरूण कुमार सिंह ने गंगा शोध केंद्र के पूर्व कोआर्डिनेटर और आई.इ.एस.डी. की प्रोफेसर कविता शाह के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि पिछले 6 वर्षों में गंगा केंद्र को न तो कोई फंडिंग मिली और न ही कोई कार्य हुआ। 

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गंगामित्रों ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए कुलसचिव से सवाल किया कि क्या केवल एक महिला प्रोफेसर की बात पर केंद्र को बंद करना उचित है? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीएचयू प्रशासन ने केंद्र से ग्राउंड रिपोर्ट क्यों नहीं मांगी।

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कुलसचिव से हुई वार्ता में, गंगामित्रों ने गंगा शोध केंद्र द्वारा पिछले 6 वर्षों में किए गए कार्यों की रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत 2017 से 2023 तक प्राप्त वित्तीय सहायता का उल्लेख भी किया गया। उन्होंने बताया कि प्रोफेसर कविता शाह पिछले 6 वर्षों में कभी भी केंद्र पर नहीं आईं और उनके द्वारा लिखा गया पत्र गलत तथ्यों पर आधारित है। गंगामित्रों ने चेतावनी दिया कि यदि बीएचयू प्रशासन ने गंगा शोध केंद्र को पुनः संचालित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए, तो वे इस मुद्दे को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाएंगे।
 

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