किसानों का धरना छठे दिन भी जारी : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन, चार गुना मुआवजा देने की मांग

किसानों का धरना छठे दिन भी जारी : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन, चार गुना मुआवजा देने की मांग
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वाराणसी। हरहुआ राजातालाब रिंग रोड के पास गंजारी गांव में निर्माणाधीन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के निकट प्रस्तावित नई अर्बन टाउनशिप (स्पोर्ट्स सिटी) और सड़क चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण के विरोध में किसानों का धरना छठे दिन भी जारी रहा। पूर्वांचल किसान यूनियन (पूकियू) के बैनर तले एक बाग में चल रहे इस धरने में सैकड़ों किसानों ने हिस्सा लिया और जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों ने मांग की कि भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत उन्हें बाजार दर से चार गुना मुआवजा दिया जाए।

धरने की अध्यक्षता पूर्व क्षेत्र पंचायत सदस्य राजकुमार गुप्ता ने की। पूकियू अध्यक्ष योगीराज सिंह पटेल ने कहा, "2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार, किसानों को उनकी जमीन का बाजार दर से चार गुना मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन वर्तमान सरकार इस कानून का पालन नहीं कर रही। मनमाने तरीके से मुआवजा कम किया जा रहा है, जिससे किसानों का भविष्य खतरे में है।" उन्होंने जिला प्रशासन और सरकार पर किसानों के साथ अन्याय का आरोप लगाया।

किसानों का धरना छठे दिन भी जारी : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन, चार गुना मुआवजा देने की मांग

राजकुमार गुप्ता ने जोर देकर कहा, "किसान अपनी जमीन तभी देंगे, जब उन्हें उचित मुआवजा मिलेगा। हम अंतिम सांस तक अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।" धरने का संचालन हरसोस ग्राम प्रधान प्रतिनिधि ओमप्रकाश सिंह पटेल ने किया, जिन्होंने उपस्थित किसानों का आभार व्यक्त किया।किसानों ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे। धरने में रंजीत कुमार पटेल, सुरेश वर्मा, जियाराम पटेल, संदीप पटेल, हृदय पाल, मनोज कुमार सिंह, विरेंद्र पटेल, रामबालक पटेल, प्रहलाद पाल, राजकुमार राजभर, विनय मौर्य, रमेशधर दुबे, गणेश शर्मा, दिनेश विश्वकर्मा सहित कई अन्य किसान शामिल रहे।किसानों का धरना छठे दिन भी जारी : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास मुआवजे की मांग को लेकर प्रदर्शन, चार गुना मुआवजा देने की मांग

यह धरना वाराणसी में भूमि अधिग्रहण से प्रभावित किसानों के बढ़ते असंतोष को दर्शाता है। किसानों का कहना है कि उनकी जमीन उनकी आजीविका का आधार है, और बिना उचित मुआवजे के वे इसे नहीं छोड़ेंगे।

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