काशी तमिल संगमम 4.0 में दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बनी प्रदर्शनी सीबीसी चित्र प्रदर्शनी, काशी और तमिलनाडु के महान व्यक्तित्वों की दिखी झलक
वाराणसी। काशी तमिल संगमम 4.0 के अंतर्गत उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से आयोजित चित्र प्रदर्शनी लोगों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। यह प्रदर्शनी केंद्रीय संचार ब्यूरो (सीबीसी), सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लगाई गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक परंपराओं, महान व्यक्तित्वों और ऐतिहासिक योगदान को पुनर्जीवित करना है।
काशी और तमिलनाडु के महान व्यक्तित्वों की जीवन यात्रा प्रदर्शित
प्रदर्शनी में काशी और तमिलनाडु के ऐसे महान लोगों के चित्र और उनके जीवन दर्शन को दर्शकों के सामने प्रस्तुत किया गया है, जिन्होंने भारत की आध्यात्मिक, सामाजिक, साहित्यिक और वैज्ञानिक उन्नति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इनमें शामिल हैं तमिलनाडु के प्रतिष्ठित व्यक्तित्व
- चक्रवर्ती राजगोपालाचारी — स्वतंत्रता सेनानी, राजनेता एवं लेखक,
- डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन — महान दार्शनिक, शिक्षाविद एवं भारत के दूसरे राष्ट्रपति,
- सी. वी. रमन — नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिकविद्,
- कुमारस्वामी कामराज — प्रख्यात राजनेता और स्वतंत्रता सेनानी,
- चिदंबरम सुब्रमण्यम — कृषि विकास के जनक,
- एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी — प्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका,
- एम. जी. रामचंद्रन — अभिनेता, राजनेता और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री,
काशी के महान संत, विद्वान और कलाकार
- संत कबीरदास — महान संत और समाज सुधारक,
- संत रविदास — आध्यात्मिक गुरु और सामाजिक समानता के प्रतीक,
- पं. मदन मोहन मालवीय — शिक्षा सुधारक, संस्थापक BHU,
- जयशंकर प्रसाद — हिंदी साहित्य के स्तंभ,
- उस्ताद बिस्मिल्लाह खां — प्रख्यात शहनाई वादक,
- पं. रविशंकर — अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सितार वादक,
सभी व्यक्तित्वों की जानकारी हिंदी और तमिल भाषा में चित्रों, शब्दों और विवरणों के माध्यम से सरल और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत की गई है।

नेक्स्ट-जेन GAT और चार संहिताओं पर भी प्रदर्शनी
प्रदर्शनी में नई पीढ़ी को ध्यान में रखते हुए नेक्स्ट-जेन जीएटी और भारतीय न्याय सुधार से जुड़ी चार संहिताओं के बारे में भी संक्षिप्त और प्रामाणिक जानकारी दी गई है। दर्शक इन वैज्ञानिक और संवैधानिक विषयों के बारे में भी आसानी से समझ पा रहे हैं।
दर्शकों और विद्यार्थियों में उत्साह
वाराणसी की दर्शक संगीता दूबे, अनीता दूबे और वरिष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता डॉ. दयानंद ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर कहा कि “कम शब्दों में इतनी उपयोगी और प्रभावी जानकारी मिलना एक अद्भुत अनुभव है। यह प्रदर्शनी ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक है।” दूर-दराज से आए लोग और वाराणसी के विभिन्न स्कूलों के छात्र भी प्रदर्शनी का अवलोकन कर लाभान्वित हो रहे हैं। दिनभर प्रदर्शन स्थल पर दर्शकों की भीड़ नजर आ रही है।

दो संस्कृतियों का अद्भुत संगम
काशी तमिल संगमम-4.0 के इस महत्वपूर्ण हिस्से ने काशी और तमिलनाडु के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा दी है। चित्र प्रदर्शनी के माध्यम से दोनों क्षेत्रों के महान विभूतियों की जीवनगाथा और योगदान को जानना दर्शकों के लिए एक अनूठा अनुभव बन गया है।

