सं.सं.वि. के कुलपति की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय के अभ्युदय एवं उत्थान के लिये किया गया विकास मंथन

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वाराणसी। देश के प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ इस विश्वविद्यालय के विकास के लिये सदैव चिंतित हैं, इसी दृष्टि से आज परिसर का विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ सूक्ष्मता से निरीक्षण और विचार मंथन किया जा रहा है।उक्त विचार आज दोपहर 11.30 बजे उत्तर प्रदेश के स्टाम्प तथा न्यायालय शुल्क एवं पंजीयन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के परिसर में विश्वविद्यालय के विकास हेतु कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा एवं कुलसचिव राकेश कुमार के साथ मंथन कर व्यक्त किया।

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उस दौरान राज्यमंत्री जायसवाल ने बताया कि परिसर के विकास हेतु जो कमियां हैं, उसे दूर करने हेतु अध्ययन किया गया है। यह संस्था देश की अति प्राचीन केंद्र है जो कि हमारी संस्कृति एवं परंपराओं के अनुरूप हो तथा यहां के विद्यार्थियों के लिये क्या- क्या सुविधा दिया जा सकता है?

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प्रदेश के राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल ने बताया कि इस संस्था के विकास और उन्नति के लिए विचार मंथन के अनुरूप एक मैप तैयार किया गया है, जिस पर कार्य किया जाएगा। जिसमें मुख्यतः परिसर के चारो द्वार (गेट) को भव्य और काशी के स्वरुप के अनुरूप बनाया जाएगा, विद्यार्थियों को स्वच्छ पेयजलापूर्ति के लिए आरओ मशीन, सीवर लाइन को ठीक कराने तथा परिसर में सभी छात्रावासों के लिए स्मार्ट डस्टबीन रखे जाएंगे, यहां की सड़कों का जीर्णोद्धार भी कराया जाएगा।

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल ने बताया कि काशी में देश भर से पर्यटक अथवा दर्शनार्थियों का आगमन होता रहता है, उनकी जिज्ञासा अपने भविष्य की घटनाओं अथवा भाग्य फल जानने की होती है, जिसके लिए इस परिसर में यहां के अनुरूप ज्योतिष परामर्श केंद्र की स्थापना किया जा रहा है। इस केंद्र के माध्यम से लोग अच्छे ज्योतिष विशेषज्ञों से परामर्श ले सकेंगे।

ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र के स्टूडियो का निरीक्षण कर राज्यमंत्री जायसवाल ने बताया कि इस केंद्र से संचालित होने वाले 10 पाठ्यक्रमों में अब तक देश भर से 700 आवेदन पंजीकृत हो चुके हैं। यह अत्यन्त सुखद सूचना है। इस पाठ्यक्रम के माध्यम से घर बैठे ज्योतिष, कर्मकांड, वास्तुशास्त्र एवं अन्य शास्त्रों का अध्ययन किया जा सकेगा। जिसकी ऑनलाइन कक्षाएं शीघ्र संचालित होने जा रही हैं।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि 234 वर्षों से अनवरत प्राच्यविद्या के प्रसार में संलग्न यह संस्था केवल विश्वविद्यालय नहीं है अपितु यह भारत की आत्मा है, आत्मा के जागरण के लिए जब ऐसे महानुभाव लगते हैं तो यह शुभ संकेत है। आज की इस विकास विचार मंथन में प्रदेश के स्टाम्प पंजीयन तथा न्यायालय शुल्क राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविन्द्र जायसवाल के साथ सम्पूर्ण परिसर के उत्कर्ष एवं विकास पर विस्तृत चर्चा हुई। जिसमें विकास सतत चलने वाली प्रक्रिया है, यह हमारा सौभाग्य है कि काशी के ऐसे जनप्रतिनिधि हमारे बीच में हैं जो भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं में रचे बसे हैं और संस्कृत, संस्कृति एवं भारत- भारतीय- भारतीयता के लिए समर्पित भाव से लगे हुए हैं।

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि संस्था के अभ्युदय एवं उत्थान के लिये बहुत बारीकी से विचार विमर्श हुआ है। जिसके विकास की दृष्टि में क्या- क्या किया जा सकता है, पठन-पाठन को सुचारू रूप से चलाने तथा भौतिक सुविधाओं के दृष्टि में उसे व्यवस्थित बनाया जाएगा, ताकि यहां एक अच्छा परिवेश और वातावरण बन सके।

कुलपति प्रो. शर्मा ने बताया कि काशी के परम्पराओं के अनुरूप हम यहां नवाचार की दृष्टि में कुछ विशेष कार्य कर पाएं। इसी पर विचार विमर्श किया जा रहा है।

कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने बताया कि बैठक में ज्योतिष परामर्श केंद्र स्थापित करने से भविष्य की सम्भावित घटनाओं को जानने के लिए प्रत्येक व्यक्ति जागरूक रहता है। उस दृष्टि से उनके जिज्ञासाओं के समाधान के लिए ज्योतिष परामर्श केंद्र खोलने की तैयारी है। कुलपति ने राज्यमंत्री रविन्द्र जायसवाल एवं अन्य का दुपट्टा ओढ़ाकर स्वागत और अभिनंदन किया।

उक्त विचार मंथन बैठक में कुलसचिव राकेश कुमार, डॉ. कमलेश झां, छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष प्रो. हरिशंकर पाण्डेय, प्रो. रमेश प्रसाद, दिनेश कुमार गर्ग, डॉ. मधुसूदन मिश्र, सुरक्षा अधिकारी अजय पाण्डेय, पार्षद प्रदीप राय आदि उपस्थित थे।

 

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