धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग के सौ साल पूरे, होंगे विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

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वाराणसी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) स्थित धातुकर्म अभियांत्रिकी (मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग) विभाग इस वर्ष अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। यह आयोजन 26 अक्टूबर से 28 अक्टूबर तक स्वतंत्रता भवन में आयोजित किया जाएगा। 

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यह जानकारी देते हुए विभागाध्यक्ष एवं समारोह के ऑर्गनाइजिंग कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर सुनील मोहन ने बताया कि उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग के पुराने छात्र रमेश श्रीनिवासन (मेटलर्जी 1982), एजिलिसिस इंक. के सीईओ (नैस्डेक: एजीवाईएस), रहेंगे। इसके अतिरिक्त इस सम्मेलन में देश के कई वरिष्ठ धातु विज्ञानी, सामग्री वैज्ञानिक, शिक्षाविद और उद्योग विशेषज्ञ भी अपने अनुभव साझा करेंगे।

इस शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में विभाग कई कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। इसमें राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शोध सम्मेलन, पूर्व छात्र समागम, वर्तमान छात्रों की प्रतियोगिताएं सम्मिलित हैं। शताब्दी समारोह के अवसर पर, विभाग ने शताब्दी लोगों भी जारी किया है। उन्होंने आगे कहा कि विभाग इसी प्रकार धातुकर्म अभियांत्रिकी के अध्ययन एवं शोध के क्षेत्र में अपनी भूमिका का निर्वहन करता रहेगा। शोध सम्मेलन से जुड़ी अधिक जानकारी इस वेब साईट https://conferences.iitbhu.ac.in/METCENT2023/ पर उपलब्ध है।

इस अवसर पर शताब्दी समारोह आयोजन समिति के कन्वीनर व एसोसिएट प्रोफेसर डॉ गिरिजा शंकर महोबिया ने बताया कि धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग वर्ष 1923 में स्थापित हुआ एवं अपनी स्थापना के समय से ही देश में धातुकर्म शिक्षा और अनुसंधान में अग्रणी रहा है। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय की दूरदर्शिता ने इस विभाग को यह गौरव प्राप्त करने में सहायता की है। अंतर स्नातक कार्यक्रम (बी. टेक) वर्ष 1923 में ही प्रारंभ हो गया था और देश में पहली बार धातु विज्ञान में स्नातक और डॉक्टरेट की डिग्री क्रमशः 1927 और 1955 में इस विभाग द्वारा प्रदान की गई थी। यह विभाग वर्ष 1959 में धातु विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्रदान करने वाले देश के पहले दो विभागों में से एक है। 1960 में विभाग में प्रोफेसर बेशफ़ोर्थ द्वारा एक छोटा एलडी कनवर्टर स्थापित किया गया जो उस समय की स्टील बनाने की सबसे आधुनिक तकनीकी थी। धातुकर्म अभियांत्रिकी विभाग ने अब तक 2930 स्नातक, 707 स्नातकोत्तर (एम.टेक दोहरी डिग्री सहित) और 205 पी.एच.डी. डिग्री प्रदान की है। इसमें स्नातको की संख्या देश में किसी भी धातुकर्म विभाग के लिए एक रिकॉर्ड है। 

उन्होंने बताया कि इस समारोह में प्रमुख वक्ताओं में प्रमुख धातु विज्ञानी डॉ. पुलिकेल अजयन, राइस विश्वविद्यालय (दो गिनीज रिकॉर्ड धारक और नैनो टेक्नोलॉजी में अग्रणी), डॉ. दीप जरीवाला, पेंसिलवानिया विश्वविद्यालय, यूएसए (विज्ञान में फोर्ब्स 30 अंडर 30) रहेंगे। जबकि, डॉ. सी. सूर्यनारायण, प्रधानमंत्री के पूर्व-राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. पल्ले रामा राव तक, इसी विभाग से सम्बंधित रहे है। विभाग ने वर्ष 1973 में अपनी स्वर्ण जयंती, वर्ष 1983 में हीरक जयंती और वर्ष 1998 में प्लेटिनम जयंती धूमधाम से मनाई। इसी क्रम में विभाग इस वर्ष 2023 में अपने स्थापना के सौ वर्ष पूरे कर रहा है. 

संस्थान के निदेशक प्रोफ़सर प्रमोद कुमार जैन ने मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग विभाग को शताब्दी वर्ष पूरा होने पर बधाई देते हुए इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की सफलता के लिए शुभकामनाये दी है। 

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