काशी में संग्रहालयों की बदलती भूमिका पर पांच दिवसीय कार्यशाला का दूसरा दिन

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वाराणसी,  लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय, रामनगर, वाराणसी (संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश) और पुरातत्व संग्रहालय, सामाजिक विज्ञान विभाग, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कला अभिरुचि पाठ्यक्रम के अंतर्गत पांच दिवसीय कार्यशाला और व्याख्यान के दूसरे दिन का आयोजन किया गया। इस आयोजन का मुख्य विषय "काशी का इतिहास, सांस्कृतिक परंपरा तथा संग्रहालय की महत्ता और उपयोगिता" रहा।

प्रथम सत्र: शिक्षा में संग्रहालयों की भूमिका
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में काशी हिंदू विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के डॉ. सुजीत कुमार चौबे ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में बदलते समाज में संग्रहालयों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। संग्रहालयों को अपने पारंपरिक स्वरूप से बाहर निकलकर आम लोगों तक पहुंचना चाहिए और उन्हें कला व संस्कृति के विविध पक्षों से अवगत कराना चाहिए। डॉ. चौबे ने अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद के हवाले से संग्रहालयों को शिक्षण संस्था के रूप में परिभाषित करते हुए कहा कि ये अनौपचारिक शिक्षा के केंद्र हैं, जहां किसी भी आयु, जाति या वर्ग के लोग बिना किसी बाध्यता के ज्ञान अर्जन कर सकते हैं।

काशी में संग्रहालयों की बदलती भूमिका पर पांच दिवसीय कार्यशाला का दूसरा दिन

इस सत्र के प्रारंभ में डॉ. विमल कुमार त्रिपाठी, संग्रहालयाध्यक्ष, पुरातत्व संग्रहालय, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय और श्री अमित द्विवेदी, संग्रहालयाध्यक्ष, लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय ने डॉ. चौबे का माल्यार्पण, अंगवस्त्र और स्मृति चिन्ह भेंटकर स्वागत किया।

द्वितीय सत्र: पुरातत्व संग्रहालय का भ्रमण
दूसरे सत्र में पुरातत्व संग्रहालय के प्रारूपकार श्री संदीप कुमार चौबे ने प्रतिभागियों को संग्रहालय की सभी वीथिकाओं का भ्रमण कराया। उन्होंने कलाकृतियों, उनके प्रदर्शन की विधियों और डाइंग के महत्व व उपयोगिता के बारे में विस्तार से जानकारी दी। प्रतिभागियों ने इस भ्रमण के दौरान काशी की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को निकट से समझने का अवसर प्राप्त किया।

यह कार्यशाला काशी की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और इसे नई पीढ़ी तक पहुंचाने में संग्रहालयों की भूमिका को रेखांकित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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