कोयला व्यवसायी सुयश अग्रवाल के जमानतदार राजकृष्ण टकसाली के विरुद्ध परिवाद दर्ज करने का आदेश
अधिवक्ता वरूण प्रताप सिंह के मुताबिक आरोपी सुयश अगवाल की जमानत हाईकोर्ट इलाहाबाद द्वारा स्वीकृत की जा चुकी है। हाईकोर्ट के आदेश अनुसार विचारण न्यायालय ने एक लाख के दो विश्वसनीय प्रतिभू व पी०बी० दाखिल करने का आदेश पारित किया था। जिसमें राज कृष्ण टकसाली ने वाहन संख्या यू०पी० 65 सी०इ० 8118 का पंजीकृत स्वामी बताते हुए बतौर प्रतिभू बन्ध पत्र दाखिल किया। परन्तु गाड़ी उपरोक्त राजकृष्ण टकसाली के नाम से सरकारी दस्तावेज में पंजीकृत न होकर सुर्याश मचेन्टडाइस इण्डिया लि० के नाम पंजीकृत है। जिसके डायरेक्टर सुयश अग्रवाल है। राजकृष्ण टकसाली ने झूठा शपथ पत्र न्यायालय में दाखिल किया है।
सुयश व कुवर कृष्ण अग्रवाल के कहने पर राजकृष्ण टकसाली द्वारा मय शपथ पत्र कूटरचित दस्तावेज पेश किया। अतः सुयश अग्रवाल, कुवर कृष्ण अग्रवाल व राजकृष्ण टकसाली के विरूद्ध मुकदमा दर्ज कर दंडित करने की याचना की गयी। अदालत ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में यह अवधारित किया कि समस्त विश्लेषण से विदित होता है कि शपथकर्ता राजकृष्ण टकसाली द्वारा झूठा शपथ पत्र / मिथ्या घोषणा दाखिल किया गया कि वह वाहन का साझेदार मालिक है, जो कि धारा 200 दं०प्र०सं० की परिधि में आता है। प्रस्तुत मामले में अभियुक्त सुयश अग्रवाल की जमानत हाईकोर्ट इलाहाबाद से हुई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में अभियुक्त द्वारा बन्ध पत्र व प्रतिभू दाखिल किये गये। जिसने आपत्तिकर्ता बतौर प्रतिभू बने व वाहन संख्या-यू०पी० 65 सी०ई० 8118 का पंजीयन प्रमाण पत्र दाखिल किया और शपथ पत्र की वह वाहन उपरोक्त के स्वामी है एवं शपथ पत्र दाखिल किया जो मिथ्या घोषणा है। जैसा कि उपरोक्त परिचर्चा किया जा चुका है, वह वाहन के पंजीकृत स्वामी नहीं है। जिस कारण उच्च न्यायालय के जमानत आदेश 6 दिसम्बर 2021 का अनुपालन पूर्ण रूप से नहीं किया गया।
ऐसी स्थिति में आपत्तिकर्ता राजकृष्ण टकसाली द्वारा किये गये अपराध के बाबत सम्बन्धि क्षेत्राधिकार प्राप्त न्यायालय में धारा-195 द०प्र०सं० के बाबत धारा 340 दं०प्र०सं० के अन्तर्गत परिवाद योजित किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। न्यायालय द्वारा अपराध पाते हुए परिवाद को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में दाखिल करने का आदेश दिया है।
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