यूपी बिहार बॉर्डर पर ट्रकों से अवैध वसूली के आरोपी सिपाही बलराम को मिली जमानत, एडीजी ने छापेमारी कर की थी कार्यवाही, करोड़ों की होती थी हेरा-फेरी
क्या था मामला
भरौली चेकपोस्ट पर पुलिसकर्मियों द्वारा ट्रकों से अवैध वसूली की शिकायत पर एडीजी पीयूष मोर्डिया और आजमगढ़ के डीआईजी वैभव कृष्ण ने छापेमारी की थी। जांच में सामने आया कि नरही थाने के कोरंटाडीह चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी प्रतिदिन लगभग ₹5 लाख की अवैध वसूली करते थे। चेकपोस्ट से गुजरने वाले करीब 1000 ट्रकों से ₹500 प्रति ट्रक वसूले जाते थे, और इस रकम का हिसाब-किताब डायरी में दर्ज किया जाता था। छापेमारी के बाद, नरही थाने के पुलिसकर्मियों समेत कुल 15 लोगों को नामजद आरोपी बनाया गया था।
जमानत अर्जी पर कोर्ट का निर्णय
आरोपी बलराम सिंह ने अपनी जमानत अर्जी दाखिल करते हुए कहा कि वह 92 दिन से जेल में हैं, लेकिन उनके खिलाफ अभी तक आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया। कानून के अनुसार, गिरफ्तारी के बाद 90 दिनों के भीतर चार्जशीट दाखिल होनी चाहिए, लेकिन ऐसा न होने पर आरोपी जमानत का हकदार होता है।
अदालत ने पत्रावली का अवलोकन करने के बाद यह पाया कि निर्धारित अवधि में आरोप पत्र दाखिल न होने के कारण आरोपी को जमानत देने का आधार बनता है। आरोपी की ओर से अधिवक्ता राजू राय ने पैरवी की। कोर्ट ने विधिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए आरोपी की जमानत अर्जी स्वीकार कर ली।
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