बच्चों ने सिखी ब्राह्मी लिपि, तीर्थंकरों की जन्मभूमी के दर्शन को पीएम को लिखा पत्र

नले
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वाराणसी। भेलूपुर स्थित श्री पार्स्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में नैतिक शिविर का आयोजन किया गया। इसमें अनेक बच्चों ने जैन जीवन शैली सिखा। वहीं दुनिया की प्राचीनतम ब्राह्मी लिपि सिखी। जैन तीर्थंकरों की जन्मभूमि के दर्शन को पीएम मोदी को पत्र लिखा। 

आदि प्रकाश जैन की पहल एवं प्रो. फूलचंद जैन प्रेमी के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जैन बच्चों ने अपने जीवन को सुसंस्कारित करने एवं भारतीय संस्कृति के जीवन मूल्यों के साथ ही जीवन जीने की कला सीखी। प्राचीन जैन श्रमण संस्कृति के आधारभूत सिद्धांतों को समझने हेतु छह दिवसीय प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. मुन्नी पुष्पा जैन ने विश्व की सबसे प्राचीन ब्राह्मी लिपि भी सिखाई। सभी बच्चों ने परीक्षा दी एवं सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाले पांच विद्यार्थियों को रजत पदक प्रदान किया गया। सभी बच्चों को प्रमाण पत्र के साथ पुरस्कृत किया गया। शिक्षण देने वाले सभी विद्वानों एवं विदुषियों को सम्मानित किया गया। 

इस अवसर पर जैन समाज के गणमान्य अतिथियों ने विद्यार्थियों के ज्ञान लाभ की प्रशंसा की। ऐसे लाभकारी शिविरों को नियमित आयोजित करने की भावना अभिव्यक्त की। बनारस में यह पहला ऐसा शिविर लगा, जिसमें अत्यधिक बच्चों को जीवन मूल्यों से जोड़ा गया। इस शिविर की सफलता को देखते हुए आदि प्रकाश जैन की भावना है कि बनारस में एक CBSE के जैन स्कूल भी बनना चाहिए।

प्रमिला सामरिया,आशा जैन,रूबी जैन,दीपा जैन,शैली जैन,सरिता जैन एवं दिल्ली से आईं डॉ. इन्दु जैन राष्ट्र गौरव जैन ने बच्चों के अंतर्मन में नैतिक मूल्यों के बीजारोपण में प्रशिक्षिका बनकर महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाज के अध्यक्ष ऋषभचंद जैन एवं सभी अतिथियों ने बच्चों को शुभकामनाएं दीं। इस दौरान 80 से अधिक बच्चों ने बनारस से सांसद एवं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जैन धर्म के चार तीर्थंकरों की जन्मभूमियों स्थित बनारस के जैन मंदिरों के दर्शन करने एवं भारतीय संस्कृति में इनके योगदान को जानने हेतु आमंत्रित करने के लिए पत्र लिखा।

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