कबीर की कालजयी विरासत का उत्सव, वाराणसी में महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल की भव्य वापसी

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वाराणसी। काशी में एक बार फिर कबीर की वाणी, विचार और संगीत गूंजने लगे हैं। 19 दिसंबर 2025 से वाराणसी में महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल की शुरुआत हो गई है। इस अवसर पर शहर के पवित्र घाट, ऐतिहासिक इमारतें और विरासत स्थल संगीत, कविता और विचारों के रंग में रंग गए हैं। यह फ़ेस्टिवल 15वीं सदी के महान कवि-संत कबीर को समर्पित है, जिनकी वाणी आज भी समाज को सत्य, समावेशिता और निर्भयता का संदेश देती है।

फ़ेस्टिवल का उद्घाटन ऐतिहासिक गुलेरिया कोठी में शांत गंगा आरती के साथ किया गया। इसके बाद महिंद्रा समूह के वाइस प्रेसिडेंट एवं कल्चरल आउटरीच के प्रमुख जय शाह और टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने अतिथियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र में कबीरचौरा मठ आश्रम से जुड़े विद्वान उमेश कबीर ने कबीर के जीवन, उनके विचारों और दर्शन पर सरल शब्दों में प्रकाश डाला।

काशी में एक बार फिर कबीर की वाणी, विचार और संगीत गूंजने लगे हैं। 19 दिसंबर 2025 से वाराणसी में महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल की शुरुआत हो गई है। इस अवसर पर शहर के पवित्र घाट, ऐतिहासिक इमारतें और विरासत स्थल संगीत, कविता और विचारों के रंग में रंग गए हैं। यह फ़ेस्टिवल 15वीं सदी के महान कवि-संत कबीर को समर्पित है, जिनकी वाणी आज भी समाज को सत्य, समावेशिता और निर्भयता का संदेश देती है।

शाम के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ‘कबीरियत’ के अंतर्गत रहमत-ए-नुसरत समूह ने शानदार क़व्वाली प्रस्तुत की। कुमाऊँ से आए इस समूह की प्रस्तुति उस्ताद नुसरत फ़तेह अली ख़ान की परंपरा से प्रेरित रही, जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।

टीमवर्क आर्ट्स के मैनेजिंग डायरेक्टर संजॉय के. रॉय ने कहा कि वाराणसी इस फ़ेस्टिवल की आत्मा है। यहां के घाट, विरासत स्थल और जीवन की लय कबीर की कविता और दर्शन को महसूस करने का सबसे उपयुक्त वातावरण प्रदान करते हैं। वहीं महिंद्रा समूह के जय शाह ने कहा कि कबीरा फ़ेस्टिवल कबीर के विचारों के साथ निरंतर संवाद का माध्यम है और हर साल काशी लौटकर इस परंपरा को आगे बढ़ाना उनके लिए गर्व की बात है।

काशी में एक बार फिर कबीर की वाणी, विचार और संगीत गूंजने लगे हैं। 19 दिसंबर 2025 से वाराणसी में महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल की शुरुआत हो गई है। इस अवसर पर शहर के पवित्र घाट, ऐतिहासिक इमारतें और विरासत स्थल संगीत, कविता और विचारों के रंग में रंग गए हैं। यह फ़ेस्टिवल 15वीं सदी के महान कवि-संत कबीर को समर्पित है, जिनकी वाणी आज भी समाज को सत्य, समावेशिता और निर्भयता का संदेश देती है।

इस फ़ेस्टिवल में आम कार्यक्रमों के साथ-साथ प्रतिनिधियों और आगंतुकों के लिए विशेष अनुभव भी रखे गए हैं। इनमें विरासत भ्रमण, मंदिर दर्शन और कबीर से जुड़े स्थलों की यात्रा शामिल है, जिससे लोग काशी और कबीर के आध्यात्मिक संबंध को और गहराई से समझ सकें। महिंद्रा कबीरा फ़ेस्टिवल काशी में केवल एक आयोजन नहीं, बल्कि कबीर की सोच और विरासत से जुड़ने का एक जीवंत अनुभव बनकर सामने आया है।

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