बीएचयू में पहली बार दूरबीन विधि से होगा लार ग्रंथि का ऑपरेशन, तीन दिवसीय मेडिकल कॉन्फ्रेंस में बताई जाएंगी खूबियां

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वाराणसी। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) का नाक, कान, गला विभाग न केवल उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और पूर्वांचल के मरीजों को उत्कृष्ट सेवाएं प्रदान कर रहा है, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल तक के रोगियों का इलाज भी यहां किया जा रहा है। इसके अलावा, यहां के जूनियर डॉक्टरों को बेहतरीन प्रशिक्षण दिया जाता है और शोध के क्षेत्र में यह विभाग देश के अग्रणी संस्थानों में से एक है।

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प्रोफेसर राजेश कुमार (ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन), प्रोफेसर विश्वभर सिंह (ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी), डॉक्टर सुशील कुमार (ऑर्गनाइजिंग को-चेयरमैन), और डॉक्टर सिवा सेल्वाराज (ऑर्गनाइजिंग ट्रेजर) की देखरेख में, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के निदेशक डॉक्टर एस एन संखवार, सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर के के गुप्ता और बीएचयू के कुलपति सुधीर कुमार जैन के सहयोग से राज्यस्तरीय मेडिकल कॉन्फ्रेंस का आयोजन हो रहा है। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश समेत देश के 20 राज्यों से 12 प्रमुख विशेषज्ञ और 40 अन्य चिकित्सक भाग लेंगे, जिनके साथ करीब 300 प्रतिभागी डॉक्टर भी पंजीकृत हुए हैं। इस कार्यक्रम में 96 शोधपत्र प्रस्तुत किए जाएंगे और विशेषज्ञ विभिन्न रोगों पर अपने अनुभव साझा करेंगे।

मुख्य विशेषज्ञों में तमिलनाडु से डॉक्टर टी एन जानकीराम, गुजरात से डॉक्टर राजेश विश्वकर्मा, उत्तर प्रदेश से डॉक्टर राकेश श्रीवास्तव, आंध्र प्रदेश से डॉक्टर जी वी एस राय, केरल से डॉक्टर विनोद फेलिक्स, मध्य प्रदेश से डॉक्टर ब्रजेंद्र बसेर, दिल्ली से डॉक्टर कपिल सिक्का और महाराष्ट्र से डॉक्टर शिरीष बी घनी शामिल हैं। इन विशेषज्ञों द्वारा नई तकनीकों से सर्जरी और इलाज की विधियों पर लाइव ऑपरेशन दिखाए जाएंगे, जिससे डॉक्टरों को सीखने का अनूठा अवसर मिलेगा।

इस कॉन्फ्रेंस में विशेष रूप से गले की थायराइड ग्रंथि के ऑपरेशन, नाक के साइनस की सर्जरी, कान के सुनने की समस्या का इलाज, नाक के माध्यम से मस्तिष्क की सर्जरी, लार ग्रंथि का बिना चीरे के इलाज, और टॉन्सिल एवं एडिनॉइड का आधुनिक तरीके से ऑपरेशन जैसी तकनीकों पर चर्चा और प्रदर्शन होगा। कैडेवर (मृत शरीर) पर भी अभ्यास और शोध के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे।

यह उत्तर प्रदेश की 41वीं कॉन्फ्रेंस है, जो इस वर्ष वाराणसी में हो रही है। इस कार्यक्रम से पूर्वांचल और आसपास के मरीजों को लाभ मिलेगा और बीएचयू में आने वाले रोगियों का इलाज अत्याधुनिक तकनीकों से किया जा सकेगा।

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