BHU: संगीत एवं मंच कला संकाय में तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का होगा आयोजन, कई देशों के विद्वान और शोधकर्ताओं के विचार होंगे संकलित

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संगीत एवं मंच कला संकाय के ओर से कौस्तुभ जयंती वर्ष के अंतर्गत त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन 6 से 8 फरवरी 2025 तक किया जा रहा है। इस संगोष्ठी का विषय "मंच कलाओं में समकालीन प्रवृत्तियां: प्रयोग एवं शास्त्र के संदर्भ में" रखा गया है, जिसमें भारत सहित कई देशों के गुणी विद्वान, शोधकर्ता, साधक एवं कलाकार भाग ले रहे हैं।

इस संगोष्ठी में प्रस्तुत किए गए शोध पत्रों को एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया जाएगा, जिससे कला जगत को अकादमिक रूप से महत्वपूर्ण संदर्भ सामग्री मिलेगी। इस अनूठे आयोजन में 200 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीकरण करा लिया है, और यह संख्या 6 फरवरी तक और बढ़ने की उम्मीद है।

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कई अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञ वर्चुअली होंगे शामिल

इस आयोजन में भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा मॉरीशस, श्रीलंका, नेपाल जैसे देशों के कलाकार एवं शोधकर्ता शामिल हो रहे हैं। वहीं, महाकुंभ के चलते भारी भीड़ और यात्रा कठिनाइयों के कारण कुछ अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ ऑनलाइन माध्यम से संगोष्ठी में शामिल होंगे और अपने विचारों से इस आयोजन को समृद्ध करेंगे।

प्रमुख अतिथि और विद्वान होंगे उपस्थित

उद्घाटन सत्र में:
•    मुख्य अतिथि – पं. विश्वंभर नाथ मिश्र (महंत, संकट मोचन मंदिर)
•    विशिष्ट अतिथि – डॉ. मालिनी अवस्थी, पद्मश्री (लोक एवं शास्त्रीय गायिका)
•    बीज वक्तव्य – पं. ऋत्विक सान्याल, पद्मश्री (वरिष्ठ ध्रुपद गायक)
•    सारस्वत अतिथि – डॉ. शोभित कुमार नाहर (निदेशक, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी)

समापन सत्र में:
•    मुख्य अतिथि – प्रो. अखिलेश कुमार रघुवंशी (वरिष्ठ पर्यावरणविद)
•    विशिष्ट अतिथि – डॉ. राजू दास (सचिव, केंद्रीय संगीत नाटक अकादमी)

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इस संगोष्ठी में प्रो. स्वतंत्र शर्मा (पूर्व कुलपति, राजा मान सिंह तोमर विश्वविद्यालय, ग्वालियर), प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह (ललित नारायण विश्वविद्यालय, दरभंगा), पं. देवाशीष दे, श्री अरविंद मिश्र, श्री प्रेमचंद होम्बल, डॉ. इशिरा पारिख, डॉ. अभ्रदिता मैत्रा समेत कई अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वान उपस्थित रहेंगे।

संगोष्ठी से शोध और कला जगत को मिलेगा नया आयाम

इस आयोजन के माध्यम से संगीत और मंच कला के क्षेत्र में शोध की नई संभावनाओं पर मंथन किया जाएगा। साथ ही, शासन और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा किए जा रहे प्रयासों पर भी वृहद चर्चा होगी। यह ज्ञान कुंभ, कला और शोध के क्षेत्र में नई दिशा और दशा तय करेगा तथा प्रतिभागियों को अनमोल अनुभव प्रदान करेगा।

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