बीएचयू के छात्रों को मिला नया डिजिटल "बोल्स डिजिटल डॉक्यूमेंट रिपोजिटरी" एप्प, कत्थक की बोली लिखने में होगी आसानी 

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वाराणसी। काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सोमवार को एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया गया। यह डांस डिपार्टमेंट की तरफ से आयोजित किया गया। जिसमें सैकड़ों की संख्या में कथक के छात्र एवं छात्राएं शामिल हुए। कार्यक्रम में कथक तकनीकी रचनाओं के आसान दस्तावेज़ीकरण की सुविधा के लिए डिजिटल एप्प के बारे में छात्रों को बताया गया एवं एप को छात्रों में वितरण किया गया। एप का नाम "कोडिफिकेशन ऑफ कथक बोल्स" रखा गया हैं। 
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कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि विभा रामास्वामी और काशी हिंदू विश्वविद्यालय के नृत्य विभाग की विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर विधि नागर ने मालवीय जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया।बीएचयू नृत्य विभाग की विभागाध्यक्ष विधी नागर ने कहा कि बेंगलुरु से पधारी विभा रामास्वामी जिन्होंने एक बहुत अच्छा कार्य किया है। उन्होंने कथक के लिपि को जो हम लोग हाथ से लिखते थे। अब उन्होंने कत्थक का एक ऐसा एप तैयार किया है। जिसमें कत्थक के बोल डिजिटल माध्यम से लिखे जाएंगे। इससे कत्थक सिखाने वाले छात्र एवं छात्राओं को काफी आसानी होगी। आज उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में सभी छात्रों को नि:शुल्क एप वितरण किया और एप के बारे में जानकारी दी । इस ऐप के माध्यम से त्रुटियों की गुंजाइश न के बराबर रहेगी।
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विभा रामास्वामी ने बताया कि यह एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है, जो विंडो डेस्कटॉप पर चलेगा । इस ऐप के माध्यम से छात्र एवं अध्यापकों को डॉक्यूमेंट्सन करने में काफी आसानी होगी। उन्होंने कहा कि कत्थक के बोली को जो हम हाथ और प्रिंट से करते थे। अब हम एप के माध्यम से आसानी पूर्वक डिजिटल माध्यम से कर सकेंगे। जब छात्रों को अर्धचंद्र करना होता था तो उसमें काफी समय लगता था, लेकिन इस एप के माध्यम से कुछ ही सेकंड में किया जा सकेगा। उन्होंने बताया कि एप का नाम "बोल्स डिजिटल डॉक्यूमेंट रिपोजिटरी" रख गया हैं। सीसीआरडी फेलोशिप के अंडर में इसे तैयार किया गया है। इस ऐप का पहला प्रयोग पंडित बिरजू महाराज के संगीत दर्पण पुस्तक पर की गई है। 
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विभा रामास्वामी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्र एवं छात्राओं को एप के बारे में विस्तृत जानकारी प्रोजेक्टर के माध्यम से दी, उन्होंने सभी छात्रों के लैपटॉप में इस एप को लॉन्च कराया। उन्होंने बताया कि एप को सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेश में रहने वाले छात्र भी प्रयोग कर रहे हैं और धीरे-धीरे यह पूरे छात्रों के बीच में फैलाया जाएगा।

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